सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्युनिकेशन के मालिक अनिल अंबानी को एरिक्सन के कर्ज न चुकाने के मामले में कोर्ट में पेशी के लिए आदेश दिए हैं। यह केस एरिक्सन द्वारा कोर्ट में दर्ज करवाया गया था जब अनिल अंबानी एरिक्सन का 550 करोड़ का बाकी कर्ज देने में नाकामयाब हुए थे और हाल ही में खुद को दिवालिया घोषित करने की अर्जी लगाईं थी।
आरकॉम और एरिक्सन केस की पूरी जानकारी :
रिलायंस कम्युनिकेशन ने एरिक्सन के साथ डील की थी जिसके अंतर्गत एरिक्सन का रिलायंस पर 550 करोड़ का कर्ज चढ़ गया था। इसके बाद रिलायंस घाटों के चलते कर्ज अदायगी नहीं कर पा रही थी। इसके चलते रिलायंस ने एरिक्सन से 60 दिनों का समय माँगा था लेकिन जब उन 60 दिनों के ख़त्म होने तक भी कोई कर्ज नहीं चुकाया गया तो फिर एरिक्सन ने कोर्ट में रिलायंस की संपत्ति जब्त करने की गुहार लगाईं।
रिलायंस ने खुद को किया दिवालिया घोषित :
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक रिलायंस कम्युनिकेशन ने अपने आप को दिवालिया घोषित करने का निर्णय मुख्य रूप से नकदी की कमी के चलते लिया है जिसके कारण यह लम्बे समय से अपने कर्जदारों कू कर्ज नहीं चूका पाई है। इसके चलते कंपनी के बोर्ड ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत एनसीएलटी के जरिए फास्ट-ट्रैक रेजोल्यूशन प्रोसेस में जाने का विकल्प चुना है।
इस सन्दर्भ में कंपनी ने बयान दिया “रिलायंस कम्युनिकेशंस के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के माध्यम से ऋण समाधान योजना लागू करने का निर्णय किया है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने शुक्रवार को कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने पाया कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्जदाताओं को अब तक कुछ भी नहीं मिल पाया है।
रिलायंस ने दिवालिया होने का यह बताया कारण :
दिवालियापन का फैसला लेने के पीछे रिलायंस ने यह कारण बताया की इतना कर्ज होने पर उन्हें दूरसंचार विभाग द्वारा लगातार चुनोतियों का सामना करना पड़ रहा था और इसके साथ ही कर्जदार भी ;अगातार मुक़दमे कर रहे थे जिससे कम मुश्किल हो रहा था। इससे नकदी की भी कमी हुई जिससे कर्ज नहीं चुकाया जा सका। जिओ से होने वाली डील को भी दूरसंचार विभाग द्वारा मंजूरी नहीं मिल सकी और इसके चलते दिवालिया घोषित करने का फैसला लेना पड़ा।
दिवालिया घोषित होने के फैसले का निवेशकों पर भारी असर देखा गया और एक ही दिन में रिलायंस के शेयर में करीब 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है।