अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशन अपने कर्जदारों का कर्ज चुकाने में सफल नहीं हो पायी है जिसके चलते इसने कोर्ट ऑफ़ ट्रिब्यूनल को खुदको दिवालिया घोषित करने की अर्जी लगाईं है।
क्या है दिवालिया होने का कारण :
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक रिलायंस कम्युनिकेशन ने अपने आप को दिवालिया घोषित करने का निर्णय मुख्या रूप से नकदी की कमी के चलते लिया है जिसके कारण यह लम्बे समय से अपने कर्जदारों कू कर्ज नहीं चूका पाई है। इसके चलते कंपनी के बोर्ड ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत एनसीएलटी के जरिए फास्ट-ट्रैक रेजोल्यूशन प्रोसेस में जाने का विकल्प चुना है।
रिलायंस जिओ से नहीं हो पाया था सौदा :
कुछ समय पहले अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस जिओ के साथ अपने स्पेक्ट्रम बेचने का सौदा किया था लेकिन इस सौदे को टेलिकॉम विभाग द्वारा मंजूरी नहीं दी गयी क्योंकि पहले से ही आरकॉम का कुछ कंपनियों पर कर्ज बाकी था जिससे टेलिकॉम विभाग ने इस सौदे को मंजूरी नहीं दी।
इसके बाद टेलिकॉम विभाग ने शर्त रखी थी की यदि रिलायंस जिओ आरकॉम का कर्ज चुकाने की पूरी ज़िम्मेदारी ले तो यह सौदा हो सकता है लेकिन मुकेश अंबानी इससे मुकर गए जिससे आखिरकार यह डील रद्द करनी पड़ी। इससे रिलायंस कम्युनिकेशन अपने कर्ज कम नहीं कर पायी और आज दिवालिया होने की कगार पर है।
रिलायंस पर कितना है कर्ज :
रिलायंस कम्युनिकेशन पर कुल 46,000 करोड़ का कर्ज बाकी है। यह जानकारी अक्टूबर में रिलायंस द्वारा पब्लिक में जारी की गयी थी। अब यदि कंपनी दिवालिया घोषित होती है तो इतनी कर्ज राशि इसकी परिसंपत्तियां बेचकर चुकाई जायेंगी। कंपनी बोर्ड का मानना है कि यह कदम सभी संबंधित पक्षों के हित में होगा। इससे 270 दिन की तय अवधि में आरकॉम की संपत्ति बेचकर कर्ज के भुगतान की पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो सकेगी।
बिजनेस टुडे नें बताया कि यदि जिओ के साथ सौदे को टेलिकॉम विभाग द्वारा मंजूरी मिल जाती तो वह 25,000 करोड़ तक का कर्ज चूका सकती थी जिससे आज दिवालिया घोषित होने की नौबत ना आती।
आरकॉम का बयान :
इस सन्दर्भ में कंपनी ने बयान दिया “रिलायंस कम्युनिकेशंस के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के माध्यम से ऋण समाधान योजना लागू करने का निर्णय किया है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने शुक्रवार को कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने पाया कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्जदाताओं को अब तक कुछ भी नहीं मिल पाया है।