सूत्रों से पता चला है की जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने अपनी एयरलाइन को नष्ट होने से बचाने एवं निवेश के लिए अदानी ग्रुप की और रुख किया है।
टाटा ग्रुप ने ठुकराया था प्रस्ताव :
जानकारी के अनुसार जेट एयरवेज समूह अदानी ग्रुप से पहले टाटा समूह से अपनी एयरलाइन में निवेश करने पर चर्चा कर रहा था। लेकिन टाटा ग्रुप की यह शर्त थी की वे तभी निवेश करेंगे जब नरेश गोयल जेट एयरवेज में से अपनी हिस्सेदारी वापस ले लेंगे। लेकिन नरेश गोयल ऐसा करने को राज़ी नहीं हुए और यह प्रस्ताव टाटा ग्रुप द्वारा नामंजूर कर दिया गया।
एतिहाद एयरवेज ने भी राखी ये शर्तें :
इस महीने के शुरू में अबू धाबी स्थित एतिहाद एयरवेज ने जेट एयरवेज में फण्ड डालने की कठोर शर्तें रखी थी। इसके अंतर्गत एतिहाद ने कहा था की वह तभी इस एयरलाइन में निवेश करेगा जब नरेश गोयल की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से कम होगी।
इसके बाद नरेश गोयल ने एस बी आई को पात्र लिखा था। जेट एयरवेज के चेयरमैन द्वारा लिखे गए पत्र में वर्णित था की ये पत्र वे रेसोलुसन प्लान के तहत लिख रहे हैं। इसके साथ ही वे जेट एयरवेज में 700 करोड़ निवेश करने एवं अपने शेयर गिरवी रखने को तैयार हैं लेकिन वे ऐसा तभी करेंगे जब उनकी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से ज्यादा बनी रहे। इससे साफ़ पता चलता है की हिस्सेदारी खोने के लिए नरेश गोयल राज़ी नहीं है और बाकी बचे सभी विकल्प आजमाना चाहते हैं।
जेट एयरवेज को हो रहा लगातार घाटा :
कुछ समय से जेट एयरवेज को लगातार घाटे हो रहे हैं। 31 दिसंबर, 2018 को जेट ने बैंकों के कंसोर्टियम को लोन चुकाने में चूक की थी। इसके विकास के बारे में सूत्रों ने बताया कि कम भुगतान के कारण जेट के विमान को ग्राउंडिंग के साथ, गोयल ने फंड के वैकल्पिक स्रोतों के लिए स्काउटिंग शुरू कर दी है। इसके चलते मंगलवार को जेट एयरवेज के चार विमानों को उड़ान भरने से रोक दिया गया था।