भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री के मध्य 21 वें चरण की सीमा वार्ता शुरू हो चुकी है। यह वार्ता चीन के दक्षिणी पश्चिमी प्रांत में हो रही है। सीमा मतभेदों के आलावा दोनों राष्ट्रों के नेता द्विपक्षीय संबंधों में हुई तरक्की के बाबत भी चर्चा करेंगे।
आधिकारिक सूचना के मुताबिक यह वार्ता भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के मध्य अप्रैल में हुई वुहान मुलाकात पर आधारित होगी। अजित डोभाल और वांग यी चीन और भारत के मध्य सीमा वार्ता के विशेष प्रतिनिधि हैं। सुत्रों के मुताबिक इस वार्ता का अंत शनिवार तक हो जायेगा।
21 नवम्बर को वार्ता का ऐलान करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग यी ने कहा था कि दोनों राष्ट्र अपने बीच उपजे मतभेद को वार्ता और चर्चा से सुलझा लेंगे। अधिकारियों के मुताबिक यह वार्ता द्विपक्षीय व्यापार में तरक्की और सीमा पर शांति के इर्द गिर्द ही संपन्न होगी।
वुहान वार्ता के बाद दोनों देशों के व्यापार अधिकारियों के मध्य हुई वार्ता में भारत को चीन के बाज़ारों में निर्यात करने के लिए हुई थी, क्योंकि भारत को 51 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा हुआ था।
नतीजतन, भारत ने चीन में चावल, चीनी और दवाइयों के निर्यात को बढ़ा दिया, इस बैठक में इसकी समीक्षा भी की जाएगी. चीन और भारत के मध्य व्यापार के आलावा बड़े स्तर पर सीमा विवाद भी है। चीन और भारत के मध्य 3488 किलोमीटर सीमा इलाके पर मतभेद बने हुए हैं। बीजिंग अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा मानता है।
चीनी सैनिकों को डोकलाम में सड़क निर्माण का कार्य करने के दौरान भारतीय सैनिकों ने पकड़ लिया था, इससे दोनों देशों की रक्षा टुकड़ियों के बाच गतिरोध उत्पन्न हो गया था। यह संघर्ष 73 दिनों तक जारी रहा था। पीपल लिबरेशन आर्मी के सड़क निर्माण के प्रोजेक्ट को रद्द करने के बाद ही इस संघर्ष का अंत हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक सीमा शांति की 20 बैठकों के बावजूद मतभेद अभी तक बने हुए हैं।
13 नवम्बर को दोनों राष्ट्रों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के मध्य भारत-चीनी वार्षिक रक्षा और सुरक्षा वार्ता बीजिंग में संपन्न हुई थी। इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने रक्षा तकनीक साझा करने और पारस्परिकता पर रजामंदी जाहिर की थी।