भारत ने आज सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर ओडिशा के तट पर अग्नि श्रृंखला की एक नई मिसाइल अग्नि-प्राइम का सफल परीक्षण किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस मिसाइल को विकसित किया है। अत्याधुनिक अग्नि प्राइम को 4000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि 4 तथा 5000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि 5 मिसाइल में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीकों को मिलाकर इस मिसाइल को बनाया गया है।
मिसाइल की खूबियां
यह मिसाइल 1000 से 1500 किलोमीटर तक मारक क्षमता रखती है। 2 स्टेज और सॉलि़ड फ्यूल पर आधारित अग्नि प्राइम मिसाइल को एडवांस रिंग लेजर गैरोंस्कोप पर आधारित नेविगेशन सिस्टम द्वारा निर्देशित किया जाता है। इसका गाइडेड सिस्टम इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्यूटर से लैस है। सिंगल स्टेज वाले अग्नि 1 के विपरीत डबल स्टेज वाले अग्नि प्राइम को सड़क और मोबाइल लांचर दोनों से दागा जा सकता है।
अग्नि प्राइम अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग के कारण यह कम वजन वाली मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता पहले वाले मिसाइलों से अधिक है। भारत ने 1989 में पहली बार मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि 1 का परीक्षण किया था। सूत्रों की माने तो अग्नि 1 के जगह अब अग्नि प्राइम लेगा, अग्नि सीरीज कि भारत में पांच मिसाइलों का सफलतापूर्वक विकास और परीक्षण किया जा चुका है।
मोबाइल लॉन्चर से भी कर सकेंगे फायर
अग्नि प्राइम मिसाइल दो स्टेज और सॉलिड फ्यूल पर आधारित है। इसे एडवांस रिंग-लेजर गायरोस्कोप पर आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम द्वारा निर्देशित किया जाएगा। दोनों चरणों में समग्र रॉकेट मोटर्स हैं। इसका गाइडेंस सिस्टम इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स से लैस हैं। रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सिंगल स्टेज वाले अग्नि-1 के विपरीत, डबल स्टेज वाले अग्नि प्राइम फ्लैक्सिबिलिटी के साथ सड़क और मोबाइल लॉन्चर दोनों से फायर किया जा सकता है।
भारत को मिसाइल क्षेत्र में मिली महारथ
आज इसके परीक्षण के मौके पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिकों का दल मौजूद था। सूत्रों की माने तो आने वाले चंद दिनों में भारत और कई ताकतवर मिसाइलों का परीक्षण कर सकता है। भारत आज विश्व के मानचित्र में मिसाइल के क्षेत्र में विदेशी देशों पर टेक्नोलॉजी या अन्य साजो सामान के लिए निर्भर नहीं करेगा। मेक इन इंडिया के तहत भारतीय वैज्ञानिक स्वदेशी ज्ञान कौशल से निर्मित मिसाइलों का निर्माण उनके कल पुर्जों का निर्माण उनके टेक्नोलॉजी का निर्माण खुद करने लगे हैं। आज के परीक्षण से भारत को मिसाइल क्षेत्र में मानो महारथ हासिल हुई है।