यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को अगस्ता वेस्टलैंड की अनच से बचाते हुए पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा है कि सोनिया गाँधी ने यूपीए सरकार के दौरान कभी भी रक्षा सौदों में हस्तक्षेप नहीं किया।
एंटनी ने केन्द्रीय जांच एजेंसियों पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि “पूर्व रक्षा मंत्री के रूप में मैं स्पष्ट रूप से कहाँ चाहूँगा कि यूपीए की अध्यक्ष रहते हुए सोनिया गाँधी ने कभी भी रक्षा सौदों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया।”
उन्होंने कहा, “जिस वक़्त इटली से रिपोर्ट आई कि इस मामले में भ्रष्टाचार है, मैंने तुरंत सीबीआई जांच का आदेश दिया था, इस सरकार ने नहीं। हमारी सरकार ने इटली में इस मामले से लड़ने के लिए एक असामान्य निर्णय लिया। आखिरकार, हमने केस जीत लिया।”
इस मामले की जांच में वर्तमान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर सवाल उठाते हुए एंटनी ने कहा, “जब भी मीडिया ने सौदे में भ्रष्टाचार के बारे में सूचना दी, हमने एक जांच शुरू की। हमने पांच से छह शक्तिशाली कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया था, जिसमें एक अमेरिकी, रूसी और सिंगापुर की कंपनी शामिल थी। यह हमारा ट्रैक रिकॉर्ड था, लेकिन वर्तमान सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड क्या है?”
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली में कोर्ट को बताया था कि पूछताछ के दौरान मिशेल ने ‘मिसेज गाँधी’ का नाम लिया था, हालाँकि ये नाम किस सन्दर्भ में लिया गया इसकी जांच की जा रही है।
ईडी के वकील डी पी सिंह ने बताया कि “27 दिसंबर को इन्होने पूछताछ के दौरान मिसेज गाँधी का नाम लिया था एक किसी रेफरेंस में। मैं रेफरेंस का नाम नहीं लूँगा। तो हमें पता लगाना था कि मिसेज गाँधी कौन है? चिकित्सा जांच के वक़्त उन्हें एक कानूनी पहुँच दिया गया था तो अच्च्नक से नोटिस किया गया कि उन्होंने कुछ दिया है, जो वकील साहब ने अपनी जेब में रख लिया। जब चेक किया गया तो पाया गया कि मिसेज गाँधी के बारे में पूछताछ में जो सवाल थे वही वकील साहब के पर्ची पर थे।”
उसके बाद सरकारी वकील ने कहा कि साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।
मामला सामने आने के बाद भाजपा हमलावर हो गई और दनादन प्रेस कांफ्रेंस कर के कांग्रेस पर ये सवाल दागे कि मिसेज गाँधी कौन है?
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर गाँधी परिवार को फंसाने का आरोप जड़ दिया।