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    समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस की रणनीति भाजपा को केंद्र में सरकार बनाने से न रोकने की हैं, लेकिन यह 2022 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आएगी।

    उन्होंने यह भी कहा कि सपा और बसपा ने राष्ट्रीय हित के लिए सीटों का बलिदान दिया।

    उन्होंने कहा, हमारा इरादा साफ हैं। हमने सांप्रदायिक दोल को रोकने के लिए गठबंधन किया और इस प्रक्रिया में, सपा और बसपा ने राष्ट्रीय हित के लिए सीटों का बलिदान दिया।

    अखिलेश ने कहा, “लेकिन, कांग्रेस का एजेंडा संसदीय चुनाव में भाजपा को केंद्र में अगली सरकार बनाने से रोकना नही हैं। वे 2022 में, यूपी का अगली मुख्यमंत्री बनाने का काम कर रहे हैं”।

    सपा प्रमुख का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पर निशाना साधते हुए कहा कि वह खुद अंधेरे में तीर मार रहे हैं कि वह केंद्र में सरकार बनाने जा रहे हैं और लोकसभा चुनावों के बाद, अगला निशाना विधानसभा चुनाव(2022) को सुनिश्चित करना होगा कि पहले की तरह राज्य शिक्षा, स्वस्थ्य और रोजगार शीर्ष पर हो।

    यह कहते हुए कि उनका बसपा और आरएलडी के साथ मजबूत गठजोड़ हैं अखिलेश ने कहा, दोनो ही पार्टियों ने देश के लिए बलिदान दिया हैं। हमने अपनी आधी सीटें केवल यह सुनिश्चित करने के लिए दे दी कि सांप्रदायिक भाजपा सत्ता में दोबारा न आ पाए।

    प्रधानमंत्री की भविष्यवाणी जिसमें उन्होंने कहा था कि “23 मई को जैसे ही चुनाव के परिणाम घोषित होंगे सपा-बसपा का गठबंधन में टूट जाएगा” के बारे में पूछने पर अखिलेश ने कहा, भाजपा को इससे क्या मिलेगा? उनको क्यो चिंता हो रही हैं? यूपी में हम मजबूत हैं और भाजपा कही भी नही हैं। और यह जमीनी हकीकत हैं। वह गठबंधन से बहुत पीछे हैं।

    मोदी का जिसमें उन्होंने गठबंधन को “महा मिलावट” कहा था, पर पूछने पर अखिलेश ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी कि, उनके 38 दलों के गठबंधन को क्या कहना चाहिए? हम एक कोर मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं और हमारे लोगों ने गठबंधन में एक उम्मीद देखी हैं।

    अखिलेश ने कहा, “उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का यह कहना हैं कि राज्य में ईवीएम की खराबी के बारे में सपा द्वारा की गई शिकायत से यह पता चलता हैं कि उनको तीसरे चरण के चुनाव के बाद अपनी हार दिखाई दे रही हैं। वह अभी प्रशिक्षण में हैं। उनको तीन दिन तक चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर नही मिला। वह पार्टी में कुछ नही हैं।

    यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने निशाना साधते हुए कहा, रामपुर, बदायूं और मैनपुरी में बड़े पैमाने पर ईवीएम मशीनों में खराबी मिली। क्या यह गंभीर मुद्दा नही हैं।

    अखिलेश ने कहा, भाजपा के पास कोई विकास का मुद्दा नही हैं उठाने के लिए। उन्होंने कोई कार्यवाही क्यों नही की अगर पिछली सरकार के काम में कोई कमी थी? उनको कौन रोक रहा था।

    मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के प्रदर्शन पर अखिलेश ने कहा, वह असफल हुए हैं। पिछले दो सलों में, क्या वह बता सकते हैं कि राज्य में कितने निवेशक आए हैं।

    सपा के 23 मई के बाद केंद्र दायित्व पर अखिलेश ने कहा, मैं प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में नही हूं। लेकिन गठबंधन एक नई सरकार और एक नया प्रधानमंत्री देने जारी हैं। सही समय पर सही फैसला लिया जाएगा। अभी हम अपना पूरा ध्यान चुनाव प्रचार पर दे रहे हैं और हमे विश्वास हैं की राज्य में अधिक सीटों पर विजय हासिल करेंगे।

    उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा और उसके सहयोगी, अपना दल ने 2014 में 73 सीटों पर जीत हासिल की था।

    उनसे पूछे जाने पर कि देश का प्रधानमंत्री कौन होगा, अगर उनके गठबंधन पर्याप्त सीटे मिलती हैं तो, अखिलेश ने कहा, भाजपा की तरह जहां सिर्फ एक ही चहरा हैं, हमरा पास कई नेता हैं। किसी को इसकी चिंता नही करना चाहिए।

    मोदी पर उन्होंने कहा कि वह हर किसी को मुर्ख बना रहे हैं। वह बताए कि क्या भ्रष्टाचार रूक गया हैं, क्या विदेशों से काला धन वापिस आ गया हैं, देश में कितना निवेश हुआ हैं, रोजगार क्यों गायब हैं। वे कभी इस पर बात नही करेंगे। वे लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने में माहिर हैं।

    हाल ही में कानपुर की रैली के दौरान, सपा अध्यक्ष ने अपने प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस पर हमला किया जिसको सपा और बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए किए गए उत्तर प्रदेश में गठबंधन से अलग रखा.

    उन्होंने कहा, भाजपा की तरह कांग्रेस भी अपने राजनीतिक विरोधियों को धमकी देने में विश्वास रखती हैं।

    उन्होंने कहा, हमने कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था, लेकिन पाया कि उसका घमंड बहुत बड़ा है।

    2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के दौरान सपा और कांग्रेस में अच्छी सामझ थी। वर्तमान में चल रहे लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा और आरएलडी गठबंधन ने उन से किनारा कर लिया हैं।

    हालांकि, गठबंधन ने निश्चिय किया था कि वह कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के गढ़ राय बरेली और अमेठी के चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार नही उतारेगी।

    उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रैली में दावा किया कि, मैं आप को कांग्रेस से भी सतर्क रहने के लिए कहूंगा। यह एक ऐसी पार्टी हैं जो टालमटोल करती हैं।

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