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    अंबाती रायडू

    इस बात पर बहुत बहस चल रही है कि सभी महत्वपूर्ण विश्व कप 2019 में भारत का नंबर चार कौन होगा। हालांकि, एक महीने पहले ही, चर्चा लगभग बंद हो गई थी क्योंकि कप्तान विराट कोहली ने सुसंगत अंबाती रायडू को इस स्थान के लिए नामित किया था। ।

    तो क्यो अब भी सब नंबर चार के लिए चिंतित है?

    मेरे दिमाग में, भारतीय क्रिकेटरों में से एक के साथ अन्याय हो रहा है। रायडू जो इस समय 33 साल के है, उन्होने अपने करियर की शुरुआत 16 साल की उम्र में की थी। उसके एक साल बाद ही वह इंडिया-ए टीम से जुड़ गए थे। उनके शानदार टैलेंट और निरंतरता ने उन्हे 2004 में भारत के लिए अंडर-19 विश्वकप टीम के लिए कप्तानी करने का मौका दिया।

    उसके बाद दाएं-हाथ का यह बल्लेबाज भारतीय राष्ट्रीय टीम में प्रवेश करने से केवल एक कदम ही दूर था, लेकिन जल्द ही सब कुछ बदल गया। अब बीफआईआई द्वारा ‘विद्रोही’ घोषित किए गए डिफंक्ट इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) में युवाओं की भागीदारी ने उन्हें क्रिकेट बोर्ड के गुस्से का सामना करना पड़ा और उनके उभरते हुए करियर पर विराम लगा दिया।

    यह पड़ाव लगभग 4 वर्षों तक रहा। फिर अंत में 2009 में, रायडू ने घरेलू क्रिकेट में वापसी करके अपने क्रिकेट जीवन का एक नया सफर शुरु किया।

    उन्हें बसने में थोड़ा समय लगा, लेकिन एक बार जब उन्होंने किया, तो बूढ़ा धाराप्रवाह और निडर होकर रायडू वापस ट्रैक पर आ गए।

    साल 2012 में, आंध्र-प्रदेश के क्रिकेट खिलाड़ी का एक बहुत बड़ा सपना पूरा होने जा रहा था क्योकि उन्हे इंग्लैंड के खिलाफ दो मैचो की टी-20 सीरीज के लिए टीम में रखा गया था। लेकिन यह भी उनके लिए कुछ ज्यादा खुशी की बात नही रही क्योकि उन्हे प्लेइंग-11 में जगह नही मिली।

    बाद में, 2013 में, रायडू को फिर से पक्ष में एक प्रतिस्थापन के रूप में नामित किया गया था, लेकिन लगता है कि, पहली बार जैसा इस बार ऐसा नही हुआ। समर्पण और अटूट मेहनत ने आखिरकार भुगतान किया क्योंकि वह उसी साल जिम्बाब्वे के खिलाफ उन्हे नीली जर्सी में बाहर आने को मिला।

    इस वारियर ने एक मजबूत खेल दिखाया और अपने डेब्यू मैच में नाबाद शतक बनाया।

    उसके बाद से रायडू भारत के लिए कुछ जगहो पर भारत के रिजर्व बल्लेबाज के रूप में दिखाई दिए, जिसमें 2015 विश्वकप भी शामिल है। लेकिन उस दौरान भी उन्हे ज्यादा मैच खेलने का मौका नही मिला और वह ज्यादातर बेंच पर ही दिखाई दिए। हाल ही में, 2018 के आईपीएल सीज़न में उनके करियर के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ने उन्हें टीम में वापस लाने में मदद की।

    चीजे रायडू के लिए अच्छी होने लगी क्योकि उनके पास एक अच्छा एशिया कप रहा, जिसके बाद उन्होने वेस्टइंडीज के खिलाफ घर में सीरीज में भी शानदार बल्लेबाजीकी। और यह सब तब ही हुआ जब भारतीय टीम प्रबंधन नंबर चार बल्लेबाज के लिए तलाश कर रहा था।

    रायडू के करियर में गति बढ़ने लगी, लेकिन उसके बाद फिर कुछ मौको पर रन बनाने में नाकाम रहे रायडू दोबारा स्कैनर के नीचे आ गए। उन्होने अपने पिछले 10 वनडे मैचो में, जिसमें से 7 ऑस्ट्रेलिया और 3 न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए उसमें 24.7 की औसत से केवल 247 रन बनाए। जिसमें दो नाबाद पारिया और शून्य पर आउट होना भी शामिल है।

    हालांकि, राय़डू के पूरे करियर को देखे तो उन्होने 55 वनडे खेले है और उसमें उन्होने 47 की औसत से रन बनाए है। जिसमें से ज्यादातर उन्होने नंबर चार पर बल्लेबाजी की है।

    अब, यह सवाल पूछा जाना चाहिए: क्या ये संख्या इतनी चिंताजनक है कि भारत को एक नए नंबर 4 की आवश्यकता है? इसका उत्तर एक बड़ा सा नही है।

    रायडू कम से कम न केवल अपनी पर्याप्त संख्या के कारण, बल्कि विश्व कप 2019 में भी एक मौका पाने के हकदार हैं। चलो उन्हें विद्रोही के रूप में नहीं देखें, कि वह कभी नहीं थे।

    https://www.youtube.com/watch?v=OeGHWdK_GwY

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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