अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Organisation) एक अन्तराष्ट्रीय संस्था है जिसका मुख्यालय वाशिंगटन DC (संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी) में है।
वर्तमान में क्रिस्टीन लेगार्ड इस संस्था की प्रबंध निदेशक हैं। फ़िलहाल विश्व के 189 देश इसके सदस्य हैं। ये सभी देश एक साथ मिलकर वैश्विक आर्थिक सहयोग (global monetary cooperation) का पालन करते हैं।
वित्तीय स्थिरता, सभी देशों में रोजगार के अवसर बढ़ाना, अन्तराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाना और उससे सम्बंधित समस्याओं का निदान करना, किसी भी देश के अर्थशास्त्र को बढ़ावा देना, विश्व में गरीबी की समस्या को कम करने के लिए विभिन्न उपाय करना – IMF के सदस्य इन उद्देश्यों का पालन करते हैं।
IMF Bretton Woods सम्मेलन का नतीजा था और साल 1945 में अस्तित्व में आया, हालाँकि इसके गठन की घोषणा साल 1944 में हुई थी।
उस समय इसके 29 सदस्य देश थे जिनका उस समय सिर्फ यही उद्देश्य था कि दुनिया भर में अन्तराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली (payment system) को दुबारा कैसे सुचारु रूप से ठीक किया जाए। इसके बाद वे ऐसी प्रणाली लेके आये जिससे मुद्रा का मानक अन्तराष्ट्रीय बाजार में हिसाब लगाया जा सके।
1944 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति Roosevelt ने Bretton Woods ने द्वितीय विश्व युद्ध होने के बाद विश्व की अर्थव्यवस्था को दुबारा से सुगठित करने के लिए एक सम्मलेन बुलाया।
Allied राष्ट्रों के 44 प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था। भारत का प्रतिनिधित्व रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के प्रथम गवर्नर सर डी. देशमुख ने किया था। इस सम्मलेन को संयुक्त राष्ट्र मुद्रा एवं वित्तीय सम्मलेन का नाम दिया गया जो बाद में उस जगह के नाम पर Bretton Woods सम्मलेन कहलाया।
इस सम्मलेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ तत्कालीन लोग थे – अमेरिका के राष्ट्रपति Roosevelt, यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल, हैरी डेक्सटर एवं UK के treasory जॉन मेनार्ड कीन्स।
इस सम्मलेन के कारण चार महत्वपूर्ण संस्थानों का जन्म हुआ:
- अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
- विश्व बैंक
- Genral Agreement on Trade & Tariff – साल 1995 में यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) बन गया।
- Fixed exchange rate System – 1970 के दशक में यह बंद हो गया।
IMF भुगतान देय प्रबंधन (management of balance payment) सम्बन्धी समस्या और अन्तराष्ट्रीय वित्तीय समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सदस्य देश एक साथ मिलकर कोटा प्रणाली के द्वारा रकम इकठ्ठा करते हैं और फिर उन देशों को जो आर्थिक एवं वित्तीय समस्या झेल रहे हैं, उनको लोन पर दिया जाता है। IMF ने मुद्रा के मानक के एक नयी व्यवस्था को जन्म दिया है जिसको Flexible change रेट System कहा गया है।IMF की आधिकारिक भाषाएँ हैं – अंग्रेजी, फ्रेंच, रुसी, चीनी स्पेनिश एवं अरेबिक।
IMF कोटा एवं वोट करने के अधिकार (IMF Quota & Voting Rights in Hindi)
किसी देश की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है और वह IMF में कितनी रकम जमा कर पाते हैं – इस आधार पर सदस्य देशों का कोटा निश्चित किया जाता है। इस कोटा के आधार पर सदस्यों को वोट करने के अधिकार दिए जाते हैं।
विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR in Hindi)
यह परिशिष्ट (supplementary) विदेशी मुद्रा है जो IMF के द्वारा रिज़र्व धन के रूप में रखे हुए हैं। यह एक करेंसी का प्रतिनिधित्व करता है जिसका अधिकार उन सदस्य देशों के पास है जिनके साथ मुद्रा का बदलाव करवाना है।
SDR का मानक पांच प्रमुख मुद्राओं द्वारा दर्शाया गया है – US डॉलर, यूरो, ब्रिटिश पौंड, चीनी युआन और जापानी येन। सदस्य देशों के सेंट्रल देशों द्वारा IMF के SDR को चलाया जाता है जो उनके द्वारा तब उपयोग में लाया जाता है जब उनके देश में आर्थिक संकट होता है।
Reverse Tansche- RT
किसी भी सदस्य देश के कोटा का एक हिस्सा RT कहलाता है। सदस्य देश यह हिस्सा अपने हिसाब से खर्च कर सकता है और इसको तुरंत लौटाने की जरुरत नहीं पड़ती। यह हिस्सा पूरे कोटा का लगभग 25 प्रतिशत होता है।
[ratemypost]
आप अपने सवाल एवं सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।