Sat. Dec 7th, 2024
    हिमाचल प्रदेश, वीरभद्र सिंह प्रेम कुमार धूमल

    हिमाचल प्रदेश में होने वाले चुनाव में कई राजनेता ऐसे है, जिनके लिए ये चुनावी दंगल काफी अहम है। इस चुनावी दंगल में भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता है। इस चुनाव में कई नेता ऐसे है जिनके लिए इस चुनाव में जीत अहम् है। अगर वे इस चुनाव में हारते है तो उनके राजनितिक जीवन के अंत होने की सम्भावना है। हिमाचल प्रदेश के चुनाव में उतरे राजनेता पार्टी के साथ-साथ अपनी निजी लड़ाई भी लड़ रहे है।

    हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओ के लिए आखिरी साबित हो सकता है। इस चुनाव के परिणामो के बाद कई नेता जीत के सम्मान के साथ अपनी विदाई लेना चाहेंगे। इस चुनाव में दोनों पार्टियों के करीब 10 दिग्गज नेता पार्टी के साथ निजी साख की लड़ाई भी लड़ रहे है। इनमे से कुछ वापस लौटे पुराने नेता भी है। हिमाचल के 6 बार सीएम रह चुके वीरभद्र सिंह कांग्रेस की और से 7वीं बार सीएम पद के उम्मीदवार बनाये गए है। हिमाचल प्रदेश में चुनाव 9 नवम्बर को होने है, और इनके नतीजों की घोषणा गुजरात चुनावो के नतीजों की घोषणा के साथ 18 दिसम्बर को की जाएगी।

    इन नेताओ के लिए जीत जरुरी

    वीरभद्र सिंह (83)
    हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह 83 साल की उम्र में भी चुनाव लड़ने जा रहे है। कांग्रेस की तरफ से वे सांतवी बार मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में इस चुनावी मैदान में उतरे है। वीरभद्र सिंह अपने राजनीतिक जीवन में कई बार अलग-अलग क्षेत्रों से चुनाव लड़ चुके है। उन्होंने जुब्बल-कोटखाई, रामपुर, रोहड़ू और शिमला ग्रामीण की विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े है। इस चुनाव में वीरभद्र ने फिर अपना चुनावी क्षेत्र बदल दिया है। इस बार वीरभद्र सिंह अर्की से चुनाव लड़ेंगे। अर्की की सीट पिछले एक दशक से भाजपा के खातें में रही है। इस चुनाव में वीरभद्र सिंह की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कहीं ऐसा ना हो कि यह चुनाव वीरभद्र के लिए आखिरी साबित हो।

    प्रेम कुमार धूमल(73)
    भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल पहले 2 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। प्रेम कुमार इस बार सुजानपुर सीट से चुनावी मैदान में है। इससे पहले प्रेम कुमार धूमल 2012 में हम्मीरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। इससे पहले उन्होंने बमसन से चुनाव लड़ा था। प्रेम कुमार धूमल फिलहाल नेता प्रतिपक्ष है। इस चुनाव में भाजपा हाईकमान ने उनका विधानसभा क्षेत्र बदल दिया है। अब देखना होगा कि इस चुनाव में प्रेम कुमार धूमल इस चुनाव में अपनी साख को कायम रख पाते है या नहीं।

    गंगू राम मुसाफिर(72)

    हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से लगातार पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से जीतने वाले नेता गंगूराम मुसाफिर की उम्र 72 वर्ष है। वर्ष 2012 के चुनावो में गंगूराम मुसाफिर को अपनी पहली राजनीतिक हार का सामना करना पड़ा था। 2012 में हुए चुनावो में गंगूराम मुसाफिर को भारतीय जनता पार्टी के सुरेश कुमार ने लगभग 3000 वोटों से हराया था। गंगूराम मुसाफिर ने 1982 के बाद लगातार 6 चुनाव कांग्रेस में रहते हुए और 1 चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था। गंगूराम मुसाफिर अगर इस चुनाव में हारते है तो उनका राजनीतिक जीवन इस चुनाव के बाद दांव पर लग सकता है।

    गुलाब सिंह ठाकुर(69)

    कांग्रेस से बीजेपी में गए 69 वर्षीय गुलाब सिंह ठाकुर को इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जोगिन्दर नगर से टिकट दिया है। गुलाब सिंह ठाकुर जोगेंद्र नगर से कांग्रेस की ओर से भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके है। उन्होंने एक चुनाव आज़ाद के जेएनपी से लड़ा था, और उन्हें 1985 में हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद गुलाब सिंह ठाकुर लगातार चुनाव जीते थे। इस बार बीजेपी हाईकमान ने उन्हें जोगेंद्र नगर से विधानसभा का टिकट दिया है।

    सुजान सिंह पठानिया(75)

    कांगड़ा के फतेहपुर विधासभा सीट पर चुनावी रण में उतरे सुजान सिंह पठानिया 7 बार चुनाव लड़ चुके है। सुजान सिंह उनमे से तीन बार चुनाव हारे है। हालाँकि 2007 में मिली हार के बाद हुए उप-चुनावो में उन्हें फिर से जीत मिल गयी थी। सुजान सिंह पठानिया ने 1990, 1993, 2003, 2012 में विधानसभा में जीते थे। हिमाचल प्रदेश के 2017 के चुनावो में कांग्रेस इन्हे लेकर असमंजस की स्थिति में थी। कांग्रेस में कई नए युवा नेताओ ने भी चुनाव लड़ने के लिए पार्टी को आवेदन किया था। लेकिन पार्टी ने इनके नाम पर ही भरोसा जताया है। अब देखना होगा कि इस चुनाव में सुजान सिंह अपना राजनीतिक जीवन किस तरह से अंत करेंगे।

    विप्लव ठाकुर(74)

    हिमाचल प्रदेश के देहरा विधानसभा क्षेत्र के लिए कांग्रेस ने विप्लव ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा है। विप्लव ठाकुर पूर्व में राज्यसभा सांसद रह चुकी है। इससे पूर्व उन्होंने जंस्वा से पांच बार चुनाव लड़े हैं। विप्लव ठाकुर को आम चुनावो में तीन बार जीत मिली है और दो बार हार का सामना करना पड़ा था। विप्लव ठाकुर की हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावो में 1985 1993 1998 में जीत मिली थी। वहीं 1990 और 2003 में हार मिली थी। इस बार कांग्रेस ने उन्हें देहरा से विधानसभा का टिकट दिया है। यहां विप्लव ठाकुर का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक रविंद्र सिंह से है।

    कौल सिंह ठाकुर(72)

    कौल सिंह ठाकुर मंडी के दरंग से इस बार चुनावी मैदान में है। कौल सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव जेएनपी से लड़ा था। वर्ष 1977 में उन्होंने अपना पहला चुनाव जेएनपी से लड़ा और साल 1982 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया। कौल सिंह ठाकुर को पहली और आखिरी बार 1990 में हार का सामना करना पड़ा था। उनके कई समय तक प्रतिध्वंधि रहे भारतीय जनता पार्टी के दीना नाथ ने उन्हें 1990 में लगभग 3000 वोटों से हराया था। कौल सिंह ठाकुर ने अब तक 9 विधानसभा चुनाव लड़े है और उन्हें 8 में जीत मिली हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के ही बाग़ी नेता चुनावी दंगल में है। ऐसे में इनके लिए चुनाव जितना बड़ी चुनौती होगी।

    कुलदीप सिंह(54)

    हमीरपुर विधासभा से कांग्रेस ने कुलदीप सिंह को उतारा है। कुलदीप सिंह ने वर्ष 1993 में चुनाव जीता था। कुलदीप सिंह इससे पहले बमसन में प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे है। इस बार कांग्रेस ने कुलदीप सिंह को हमीरपुर से चुनावी मैदान में उतरा है। इस चुनाव से कुलदीप सिंह का राजनीतिक जीवन निश्चित होगा।

    मनसा राम(76)

    हिमाचल प्रदेश के राजनीति में दिग्गज माने जाने वाले मनसा राम इस चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र से यह चुनाव लड़ रहे है। इस चुनाव में मनसा राम कारसोग से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। मनसा राम ने अपना पहला चुनाव 1967 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और जीत प्राप्त की थी। मनसा राम ने 1972 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत प्राप्त की थी।
    मनसा राम ने 1977 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। वर्ष 2007 में मनसा राम ने पार्टी बदल कर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और हारे थे। वर्ष 2012 में फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे। इस चुनाव में देखना होगा कि मनसा राम अपनी राजनीतिक जीवन का अंत चुनाव में हार के साथ करते है या जीत के साथ।

    महेंद्र सिंह(67)

    हिमाचल प्रदेश के धर्मपुर के विधायक महेंद्र सिंह अपनी पुरानी सीट पर ही चुनाव लड़ रहे है। भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे महेंद्र सिंह 67 साल के हैं। महेंद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के ऐसे उम्मीदवार है जो कई चुनाव चिन्हो के साथ चुनाव लड़ चुके है। महेंद्र सिंह ने 1990 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में इन्हे जीत हांसिल हुई थी। वर्ष 1993 में सुखराम इन्हे कांग्रेस में लाये और महेंद्र सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हांसिल की। इसके बाद जब सुखराम ने हिमाचल प्रदेश में अपनी नयी राजनीतिक पार्टी ‘हिमाचल विकास कांग्रेस’ बनाई तो महेंद्र सिंह ने ‘हीविका’ की ओर से चुनाव लड़ा और जीत प्राप्त की थी।

    2003 के विधानसभा चुनाव में महेंद्र सिंह ने ‘लोकतंत्र मोर्चा हिमाचल प्रदेश’ की और से चुनाव लड़ा और इस चुनाव में जीत प्राप्त की थी। महेंद्र सिंह ने 2007 और 2012 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा और जीत हांसिल की थी। महेंद्र सिंह धर्मपुर से लगातार 6 विधानसभा चुनाव जीत चुके है। इस चुनाव में महेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। इन्होने अपने राजनीतिक जीवन में एक भी बार हार का सामना नहीं किया है। अब देखना होगा महेंद्र सिंह अपने जीतने की इस कड़ी को बरक़रार रख पाते है या नहीं रख पाते है।