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    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा कि अगस्त में बच्चों का ​​कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण शुरू हो सकता है।

    उन्होंने कहा कि भारत टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक बनने की ओर अग्रसर है क्योंकि उनका मंत्रालय भारतीय कंपनियों को और अधिक लाइसेंस देगा। उन्होंने कोविड-19 से लड़ने और टीकाकरण में तेजी लाने के सरकार के प्रयासों के बारे में भी बताया। स्वास्थय मंत्री का बयान जुलाई की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय को सरकार ने जो कहा था उसके अनुरूप हैं – कि 12-18 वर्ष की आयु के बीच के लोगों के लिए टीके जल्द ही उपलब्ध होंगे और टीकाकरण कार्यक्रम को विनियमित करने के लिए एक नीति जल्द ही तैयार की जाएगी।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने अधिक जानकारी देते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 12-18 आयु वर्ग के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और जाइडस कैडिला के डीएनए टीकों दोनों पर गौर किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि, “अंतिम परीक्षण के परिणाम प्रतीक्षित हैं और उचित जांच के बाद, टीके बच्चों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। हम निकट भविष्य में वैक्सीन उपलब्ध कराने की उम्मीद कर रहे हैं।”

    स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फाइजर- बायोएनटेक एमआरएनए वैक्सीन का परीक्षण किया गया था और यूरोपीय संघ में 12-15 वर्ष की आयु के लोगों में उपयोग के लिए अनुमोदित किया जा चूका है। वहीँ भारत एक स्वदेशी वैक्सीन पर विचार कर रहा था।

    उन्होंने कहा कि, “इस टीके की खरीद के लिए सटीक समयरेखा और उपलब्ध मात्रा अभी भी निश्चित नहीं है, इसलिए विवरण केवल फाइनप्रिंट तय होने के बाद ही दिया जा सकता है।”

    अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने पहले बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंज़ूरी दी थी। इस टीके के लिए 21 दिन के अंतराल पर दो इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। यूरोपीय दवाओं की प्रहरी एजेंसी ने 12 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मॉडर्ना के टीके के उपयोग को भी मंजूरी दे दी है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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