संयुक्त राष्ट्र की बैठक के इतर हो रहे सार्क (साउथ एशिया एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन) सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच में ही बैठक छोड़कर चले जाने पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री सकपका गये। इस बैठक में सुषमा स्वराज अपना बयान देने के तुरंत बाद उठकर चली गयी।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने इस विवाद को तूल देते हुए सुषमा स्वराज की आलोचना की। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनकी भारतीय समकक्ष से कोई बातचीत नहीं हुई। वह बैठक बीच में ही छोड़कर चली गयी थी शायद उनकी तबियेत ठीक नहीं थी। सार्क देशों की इस अनौपचारिक बैठक का नेतृत्व नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली कर रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक सुषमा स्वराज से पहले अफगानिस्तान और बांग्लादेश के मंत्री भी बैठक छोड़कर चले गये थे। सुषमा स्वराज को अन्य देशों के नेताओं के साथ मुलाक़ात करनी थी लेकिन विदेश सचिव विजय गोखले सार्क की पूरी बैठक में मौजूद थे।
पाकिस्तान के जम्मू कश्मीर में तीन भारतीय पुलिसकर्मियों के हत्या में संलिप्त होने का शक था साथ ही पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी के चरमपंथी बुरहान वानी को सम्मान देने के लिए उसके नाम के डाक टिकट जारी किये थे। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और उनके पाकिस्तानी समकक्ष के बीच द्विपक्षीय वार्ता रद्द हो गयी थी।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक में देखा कि अगर इस मंच से कुछ हासिल करना है तो आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सार्क की प्रगति और सफलता को लेकर उनके जहन में जरा भी शक नहीं है। उन्होंने भारत की और इशारा करते हुए कहा इसमें एक ही अड़चन और एक ही रवैया रूकावट है।
शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि सार्क बैठक में सभी देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने कहा भारतीय विदेश मंत्री के रवैया बेहद अफसोसजनक था। उन्होंने कहा अगर बैठकर बातचीत नहीं होगी तो सार्क देशों की उन्नति कैसे होगी।
उन्होंने कहा भारतीय समकक्ष साफ्टा (साउथ एशिया फ्री ट्रेड एरिया) की बात करती है लेकिन बैठक में बातचीत करने के इच्छुक नहीं है।
उन्होंने कहा भारतीय विदेश मंत्री ईयू और एएसइएएन के साथ बैठक में शिरकत कर सकती है। उन्होंने कहा भारतीय समकक्ष ने साल 2016 में इस्लामाबाद में हुई बैठक का भी बहिष्कार किया था।
सार्क बैठक में सुषमा स्वराज ने क्षेत्रीय सहभागिता के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। पड़ोसी पहले नीति के तहत क्षेत्र में विकास और समृद्धि को भारत की प्राथमिकता बताई। उन्होंने कहा क्षेत्रीय वृद्धि, रोजगार और समृद्धि से ही विकास जुड़ा हुआ होता है।
सार्क का पिछला सम्मलेन साल 2014 में काठमांडू में हुआ था। जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिरकत की थी।