लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बुधवार वाले दिन से टीडीपी और अन्नाद्रुमुक से जुड़े 45 लोकसभा सांसदों को निलंबित कर दिया है। सुमित्रा को ये कदम उन सांसदों द्वारा लगातार कार्यवाही को बाधित करने के लिए उठाना पड़ा।
लोकसभा में हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने शोर-शराबा कर रहे 24 सदस्यों को पांच लगातार बैठकों के लिए निलंबित कर दिया था। फिर उसके एक दिन बाद, उन्होंने टीडीपी और अन्नाद्रुमुक से जुड़े 21 सदस्यों को निलंबित कर दिया। लगातार दूसरे दिन इतनी संख्या में सांसदों को निलंबित करने का यह रिकॉर्ड है।
ये कार्रवाई लोकसभा के नियम 374 ए के तहत की गई थी जिसमे ये लिखा है कि वे 8 जनवरी तक चलने वाली कार्यवाही के बचे दिनों में हिस्सा नहीं ले पाएँगे।
11 दिसम्बर को शुरू हुए लोक सभा के इस सत्र की कार्यवाही में बार बार टीडीपी और अन्नाद्रुमुक द्वारा बाधाएं आ रही थी। कभी वे नारेबाजी करने लगते तो कभी कागज़ फाड़कर उछालने लगते। इसलिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी। इस शोर शराबे के बीच संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उन सभी सदस्यों से अपनी अपनी सीट पर जाकर बैठने के लिए भी कहा था मगर उन दोनों पार्टी का विरोध प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ।
दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा करने वाले सांसद नहीं माने तो 14 सांसदों (टीडीपी के 12 व अन्नाद्रुमुक के 7) को निलंबित कर कार्यवाही स्थगित की गई। पर वे सांसद वहीं धरने पर बैठ गए।
निलंबित हुए सांसदों में से पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू (टीडीपी), थोटा नरसिम्हम (टीडीपी) और रेणुका बुट्टा शामिल थे।
दोपहर दो बजे कार्यवाही पुन: शुरु होने पर हंगामा करने वाले सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष ने चेतावनी दी। इसके बाद उन्होंने टीडीपी के दो और सांसदों को चार दिन के लिए निलंबित कर दिया।
कार्यवाही स्थगित करने के बाद भी सांसदों ने लोक सभा कक्ष नहीं छोड़ा था।