Sun. Dec 22nd, 2024
    सिंपल मैनेजमेंट नेटवर्क प्रोटोकॉल snmp in hindi

    विषय-सूचि

    SNMP क्या है? (snmp protocol in hindi)

    अगर किसी आर्गेनाइजेशन में हजारों डिवाइस हैं तो रोज इसकी जांच करना कि कौन से सही से काम कर रहे हैं और कौन से नहीं, काफी थकाऊ और बड़ा काम्प्लेक्स प्रक्रिया हो जाएगा।

    इसी काम को आसान बनाने के लिए सिंपल नेटवर्क मैनेजमेंट प्रोटोकॉल यानी कि SNMP का प्रयोग किया जाता है। https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/2/26/SNMP_communication_principles_diagram.PNG/500px-SNMP_communication_principles_diagram.PNGSNMP या सिंपल नेटवर्क मैनेजमेंट प्रोटोकॉल एक UDP प्रोटोकॉल है जो कि एप्लीकेशन लेयर में UDP पोर्ट संख्या 161/162 पर काम करता है।इसके प्रयोग इन चीजों के लिए किया जाता है:

    • नेटवर्क को मॉनिटर करने के लिए,
    • नेटवर्क में अगर कोई फाल्ट या खराबी आई हो तो उसे डिटेक्ट करने यानी पकड़ने के लिए, और
    • दूर किसी रिमोट डिवाइस को कॉन्फ़िगर करने के लिए।

    SNMP के कॉम्पोनेन्ट

    SNMP के तीन कॉम्पोनेन्ट होते हैं जो निम्न हैं:

    1. SNMP मेनेजर–
      ये एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम है जिसका प्रयोग नेटवर्क पर नजर रखने के लिए किया जाता है। इसे नेटवर्क मैनेजमेंट स्टेशन यानी कि MNS के नाम से भी जानते हैं।
    2. SNMP एजेंट–
      ये एक सॉफ्टवेर प्रबन्धन करने वाला एक सॉफ्टवेर module है जिसे मैनेज्ड डिवाइस में इनस्टॉल किया जाता है। मैनेज्ड डिवाइस कोई भी नेटवर्क डिवाइस हो सकता है जैसे कि PC, राऊटर, सित्च, सर्वर, इत्यादि।
    3. मैनेजमेंट इनफार्मेशन बेस–
      MIB के अंदर उन संसाधनों के बारे में सूचनाएँ रहती है जिन्हें मैनेज किया जाने वाला होता है। इन सूचनाओं को हायरार्की के हिसाब से व्यवस्थित किया जाता है। इनमे ऐसे ऑब्जेक्ट इंस्टैंस रहते हैं जो वेरिएबल होते हैं।

    SNMP के मैसेज

    1. GetNextRequest –
      इस मैसेज को ये खोज करने के लिए भेजा जा सकता है कि SNMP एजेंट पर कौन से डाटा उपलब्ध हैं। SNMP मैनेजेर लगातार तब तक डाटा के लिए निवेदन कर सकता है जब तक कि कोई डाटा नहीं बचा हो। इस तरह से मेनेजर SNMP पर उपलब्ध सारे डाटा के बारे में जानकारी रख सकता है।
    2. GetBulkRequest –
      इस मैसेज को एक बार में बड़ी मात्रा में डाटा को निकालने के लिए भेजा जाता है। इसे SNMP मेनेजर द्वारा SNMP एजेंट को भेजा जाता है। इसे SNMPv2c में पहली बार लाया गया था।
    3. SetRequest –
      इसका प्रोग SNMP मेनेजर द्वारा SNMP एजेंट के ऑब्जेक्ट इंस्टैंस पर कोई मान सेट करने के लिए किया जाता है।
    4. Response –
      इस मैसेज को एजेंट द्वारा तब भेजा जाता है जब मेनेजर उस से ऐसा निवेदन करता है। जब इसे गेट रिस्पांस के तौर पर मैसेज भेजा जाएगा तब उस मैसेज में निवेदित किया हुआ डाटा रहता है। जब इसे सेट मैसेज के तौर पर भेजा जाएगा तब उसमे एक स्वीकृति रहती है कि कोई नया मान सेट किया गया है।
    5. Trap –
      ये वो मैसेज होते हैं जिन्हें एजेंट द्वारा बिना मेनेजर के निवेदन के ही भेजा जाता है। जब कोई खराबी आ जाती है तब इस मैसेज को भेजा जाता है।
    6. InformRequest –
      इसे SNMPv2C में लाया गया था। इसका प्रयोग ये जानने के लिए किया जाता है कि मेनेजर ने ट्रैप मैसेज को प्राप्त किया है या नहीं। एजेंट्स को लगातार ट्रैप सेट करने के लिए कॉन्फ़िगर किया जा सकता है जब तक ये सूचना सन्देश ना प्राप्त कर ले। ये ट्रैप के समान ही है लेकिन इसमें एक स्क्क्नोव्लेद्गेमेंट भी होता है जो कि ट्रैप के एक्स में नहीं होता।

    SNMP सिक्यूरिटी लेवल

    ये SNMP पैकेट्स पर परफॉर्म किये जाने वाले सिक्यूरिटी अल्गोरिथ्म्स को परिभाषित करता है। इन्हें केवल SNMPv3 में प्रयोग किया जाता है। ये तीन तरह के होते हैं:

    1. noAuthNoPriv –
      ये (नो ऑथेंटिकेशन, नो प्राइवेसी)सिक्यूरिटी लेवल ऑथेंटिकेशन के लिए कम्युनिटी स्ट्रिंग का प्रयोग करता है और प्राइवेसी के लिए एन्क्रिप्शन का प्रयोग नहीं होता।
    2. authNopriv – ये सिक्यूरिटी लेवल (ऑथेंटिकेशन, नो प्राइवेसी) ऑथेंटिकेशन के लिए HMAC और Md5 का प्रयोग करता है और प्राइवेसी के लिए किसी एन्क्रिप्शन का प्रयोग नहीं होता।
    3. authPriv – ये सिक्यूरिटी लेवल (ऑथेंटिकेशन, प्राइवेसी) ऑथेंटिकेशन के लिए HMAC के साथ Md5 या SHA और एन्क्रिप्शन के लिए DES-56 अल्गोरिथम का प्रयोग करता है।

    SNMP के वर्जन्स

    SNMP के तीन वर्जन होते हैं जो निम्न हैं:

    1. SNMPv1 –
      ये ऑथेंटिकेशन के लिए कम्युनिटी स्ट्रिंग का प्रयोग करता है और केवल UDP का प्रयोग करता है।
    2. SNMPv2c –
      ये भी ऑथेंटिकेशन के लिए कम्युनिटी स्ट्रिंग का प्रयोग करता है और UDP पर ही काम करता है लेकिन इसे TCP में भी कॉन्फ़िगर किया जा सकता है।
    3. SNMPv3 –
      ये हैश पर आधारित मैक का प्रयोग करता है और ऑथेंटिकेशन के लिए MD5 या SHA का प्रयोग करता है। प्राइवेसी के लिए इसमें DES-56 का इस्तेमाल होता है। ये वर्जन TCP पर काम करता है। इसीलिए निष्कर्ष ये है कि जितना भी ज्यादा SNMP का वर्जन होगा, उतना ही सुरक्षित वो होगा।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *