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    सर्दी-जुकाम

    आजकल मौसम बदलते ही नई बीमारियों का आगमन हो जाता है परंतु कुछ बीमारियाँ ऐसी है जो हर मौसम रहती है। ऐसी ही एक बीमारी है- सर्दी-जुखाम और बुखार। इस बीमारी से तो हर कोई परिचित ही होगा। हर कोई हर महीने इसका शिकार हो ही जाता है। बुखार तो फिर भी कभी-कबार होता है लेकिन सर्दी से तो हम सबका एक नाता ही जुड़ गया है। आज हम इस लेख में इस सर्दी-जुकाम के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त करेंगें।

    सर्दी क्या है?

    सर्दी एक प्रकार की वायरल संक्रामक बीमारी है जो मुख्यतः ऊपरी श्वसन प्रणाली को क्षतिग्रस्त करती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एक्यूट वायरल रिहिनोफैरनजाइटिस (acute viral rhinopharyngitis ) या एक्यूट कोरीज़ा (acute coryza ) के नाम से जाना जाता है। यह एक सामान्य प्रकार की संक्रामक बीमारी है जो मुख्यतः कोरोनावायरस (coronaviruses) या रहिनोवायरस (rhinoviruses) की वजह से होता है।

    सर्दी की विशेषता:

    इन वायरस के अलावा ऐसे 200 प्रकार के वायरस है जो सर्दी का कारण बनते है। यही वजह है कि हमारा शरीर सर्दी के विरुद्ध कोई प्रतिरोध उत्पान नहीं कर पाता है। इसी वजह से एक ही व्यक्ति को कई बार सर्दी हो जाती है। एक जानकारी के अनुसार वयस्कों को साल में 2-3 बार तो छोटे बच्चें साल में 12 बार सर्दी के शिकार बनते है।

    सामान्य जुखाम संक्रामक होता है क्योकि यह, सर्दी से जूझ रहे व्यक्ति के खाँसने, छींकने और संक्रमित स्थानों को छूने से किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँच जाता है क्योकि इस जुखाम के कण हवा में फैलकर दूसरे व्यक्ति तक हवा के माध्यम से पहुँच जाते है। इसके लक्षणों के शुरू होने के 1-2 दिन पहले से लेकर जब तक लक्षण बंद नहीं हो जाते, तब तक यह बीमारी संक्रामक रहती है।

    सर्दी के कारण:

    जैसा कि हमने ऊपर बताया कि जुखाम 200 विभिन्न प्रकार के वायरस के वजह से होता है लेकिन 50% सर्दी रहिनोवायरस की वजह से होता है। जुखाम के लिए उत्तरदायी कुछ अन्य वायरस इस प्रकार है:-

    • ह्यूमन पैराइन्फ्लुएंजा वायरस (human parainfluenza virus)
    • ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (Human metapneumovirus)
    • कोरोनावायरस अडिनोवायरस (coronaviruses adenovirus)
    • ह्यूमन रेस्पिरेटरी सिनसीटीएल वायरस (human respiratory syncytial virus)
    • एन्टेरोवायरस (enteroviruses)

    सर्दी-जुकाम कैसे होती है?

    जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तब वायरस हमारे शरीर पर हमला करते है और हम संक्रमण का शिकार बन जाते है। इस वायरस को रोकने में प्रतिरक्षा के लिए सबसे पहले इन वायरस का म्यूकस, जिसे आम भाषा में बलगम कहा जाता है, से सामना होता है। यह म्यूकस हमारी नाक, गले, मुँह और योनि द्वारा उत्पादित होती है।

    जब इस म्यूकस को भी वायरस भेदने में सफल हो जाते है तब वे शरीर में प्रवेश कर शरीर की कोशिकाओं में पहुँचकर उन कोशिकाओं के कार्य को अपने फायदे के लिए अवरुद्ध कर उनका इस्तेमाल करने लगते है जिससे इन वायरस की संख्या हमारे शरीर में बढ़ने लगती है। फिर वायरस की बढ़ी हुई यह संख्या अन्य कोशिकाओं को प्रभावित और नष्ट करने लगती है।

    सर्दी-जुकाम के लक्षण:

    • गले का सूखना
    • गले में खराश
    • खाँसी
    • मध्यम बुखार
    • छींक
    • कर्कश आवाज
    • नाक का बंद होना
    • सिरदर्द

    यह कुछ सामान्य लक्षण थे लेकिन कुछ असामान्य लक्षण भी कभी-कभी देखे जाते है जैसे कि:-

    • मांशपेशियों में दर्द
    • ठंड लगना
    • आँखों का रंग गुलाबी हो जाना
    • कमजोरी
    • भूख में कमी आ जाना
    • बहुत ही अधिक थकावट का महसूस करना

    कुछ लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली इन वायरस से कुछ अलग ही तरीके से प्रतिक्रिया करती है जिससे इन व्यक्तियों में सर्दी के लक्षण नहीं दिखाई देते है। कभी-कभी सर्दी के संक्रमण के बाद बैक्टीरिया भी शरीर पर आक्रमण कर दते है जैसे कि कानों में इत्यादि। इसे द्वितीय बैक्टीरियल संक्रमण कहते है जिसे एंटीबायोटिक्स की मदद से ठीक किया जा सकता है।

    सर्दी से होनेवाली कुछ परेशानियाँ:

    कभी-कभी यह सामान्य सी सर्दी भी कई बड़ी बीमारियों का कारण बन जाती है जैसे कि:-

    1. तीव्र ब्रोंकाइटिस (Acute Bronchitis):- यह तब होता है जब फेफड़ो में उपस्थित छोटी-छोटी नलिकाएँ, जिन्हे ब्रांकाई कहा जाता है, बैक्टीरिया या वायरस के वजह से संक्रमित हो जाती है। यदि बैक्टीरिया कारण है तो एंटीबायोटिक्स से ठीक किया जा सकता है लेकिन यदि वायरस है तो नहीं क्योकि एंटीबायोटिक का वायरस पर कोई असर नहीं होता है। केवल उसके लक्षण को ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी की जाँच थूक का नमूना लेकर की जाती है। साँस की तकलीफ, थूक और खाँसी इस बीमारी के कुछ लक्षण है।
    2. न्युमोनिआ:- इस बीमारी में भी फेफड़े प्रभावित होते है लेकिन इसमें फेफड़ों की नलिकाएँ नहीं बल्कि द्रव से भरी वायुकोष्ठिका। यह बीमारी वायरस या बैक्टीरिया के कारण होती है लेकिन यदि सर्दी के कारण हुई है तो इसकी वजह बैक्टीरिया होते है। इसलिए इस बीमारी को एंटीबायोटिक्स की मदद से ठीक किया जा सकता है। छाती में दर्द, खाँसी, बुखार और साँस में तकलीफ इत्यादि इस बीमारी के कुछ लक्षण है।
    3. तीव्र बैक्टीरियल साइनसिसिस (Acute Bacterial Sinusitis):- यह तब होता है जब बैक्टीरिया के कारण साइनस संक्रमित हो जाते है। एंटीबायोटिक्स से इसे ठीक किया जा सकता है। कुछ मामलों में यह बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस का रूप ले लेती है। सिरदर्द, साइनस का दर्द और नाक का निर्वहन/का बहाव इसके कुछ लक्षण है।

    सर्दी की कुछ अन्य जटिलताएँ इस प्रकार है:-

    • ब्रोंकिओलिटिस
    • क्रुप
    • ओटिटिस मीडिया
    • स्ट्रेप थ्रोट
    • चिरकालिक प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग (Chronic obstructive pulmonary disease )
    • अस्थमा

    अंतिम की दो स्थितियों के लोगों को सर्दी होने का खतरा सबसे अधिक होता है अर्थात सर्दी के कारण यह जटिलताएँ तो होती ही है लेकिन यदि बिना सर्दी के यह बीमारियाँ होती है तो यह सर्दी होने का कारण भी बन सकते है।

    सर्दी-जुकाम का इलाज:

    आप सबका यह जानना बहुत जरुरी है कि कोई भी एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवाइयाँ सर्दी को जड़ से ख़त्म नहीं कर सकती, केवल उसे रोक सकती है क्योकि ऐसी दवाइयाँ सर्दी के वायरस पर अप्रभावित रहती है। एक सामान्य सर्दी कम से कम 10 दिन तक रहती है। हालाँकि कुछ लक्षण 3 हफ्तों तक भी रहते हैं।

    जैसा कि हमने कहा कि सर्दी का कोई रामबाण इलाज नहीं लेकिन कुछ उपाय है जिससे इसके लक्षण को कम या रोका जा सकता है:-

    • भरपूर मात्रा में पानी पीजिए और हमेशा हाइड्रेटेड रहिए। सर्दी में निर्जलीकरण की अवस्था स्थिति को और भी गंभीर बना सकती है।
    • भरपूर मात्रा में आराम कीजिए क्योकि संक्रमण की स्थिति में भरपूर नींद और आराम बहुत आवयश्यक होता है।
    • सिरदर्द और बुखार से राहत के लिए एस्पिरिन, अस्टमीनोफेन या आइबूप्रोफेन ले सकते है लेकिन 16 वर्ष से कम आयु के बच्चें एस्पिरिन ना लें।
    • बंद नाक से राहत पाने के लिए गर्म पानी की भाँप लें।

    सर्दी से बचने के उपाय/रोकथाम:-

    जैसा कि हम बता चुके है कि सर्दी, विभिन्न प्रकार के वायरस की वजह से होती है। यही वजह है कि आज तक सर्दी के विरुद्ध कोई वैक्सीन/टिका का आविष्कार नहीं हो पाया हैं। लेकिन यदि कुछ सावधानियाँ बरती जाए तो सर्दी से बचा जा सकता है जो इस प्रकार है:-

    • जिसे सर्दी हुई है उससे थोड़ी दूरी बनाए या यदि आपको सर्दी हुई है तो आप स्वस्थ लोगों से थोड़ी दूरी बनाकर रखे ताकि संक्रमण अन्य लोगों तक ना पहुँचे।
    • अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए विटामिन से युक्त फलों और सब्जियों का सेवन करें।
    • खाँसते और छींकते वक़्त मुँह पर रुमाल या कपड़ा रखें और उस रुमाल को सावधानी से फेंक कर अपने हाथों को अच्छे से धो लें।
    • यदि रुमाल नहीं तो अपनी हथेलियों के बजाय अपनी कुहनी पर छींके या खाँसे।
    • अपने हाथों को समय-समय पर धोते रहे क्योकि सर्दी ज्यादातर छूने, विशेषकर हाथ मिलाने से ही फैलती है।
    • अपने घर के फर्श को हमेशा साफ़ रखें, विशेषकर किचन और बाथरूम को।
    • अपने नाक और मुँह को सर्दी के वक़्त बार-बार छूने से बचें।

    वे जिनकी सर्दी से जूझने की संभावना सबसे अधिक रहती है वे इस प्रकार है:-

    • 6 साल से कम उम्र के बच्चें
    • बूढ़े-बुजुर्ग
    • जिनकी प्रत्तिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर है
    • धूम्रपान करनेवाले लोग
    • जो सर्दी से संक्रमित लोगों के आस-पास रहते है
    • पतजड़ और सर्दियों के मौसम में सर्दी से जूझने की संभावना बढ़ जाती है हालाँकि सर्दी-जुखाम किसी भी मौसम में हो सकती है।

    इस लेख का समापन करते हुए हम आपको सर्दी और बुखार में कुछ अंतर बताते जाते है क्योकि कई लोग सर्दी-जुखाम और बुखार को एक समान ही समझ लेते है। लोगों की यह धारणा इसलिए होती है क्योकि सर्दी और बुखार के लक्षण कुछ हद तक बहुत समान होते है। बुखार के लक्षण सर्दी के मुकाबले जल्दी महसूस होते है जो बहुत त्रीव होते है। बुखार में लोग लगभग 2 से 3 हफ्तों तक थकावट और कमजोरी महसूस करते है। बुखार से पीड़ित लोगों में बुखार कभी उतरता है तो कभी चढ़ता है इसलिए क्रमश: कभी बहुत अधिक पसीना आता है तो कभी बहुत अधिक ठंड लगती है। बुखार में अक्सर लोगों को मांसपेशियों में दर्द होता है। नाक का बहना, गले में खराश, सिरदर्द इत्यादि भी कुछ बुखार के लक्षण है। बुखार के लिए अक्सर एंटीवायरल लेने की सलाह दी जाती है।

    कुछ ऐसे लक्षण भी है जो बुखार में अधिक देखे जाते है परंतु सर्दी में कम। नीचे कुछ ऐसे ही लक्षण है जिससे बुखार और सर्दी में फर्क समझा जा सकता है:-

    • सिरदर्द:- जो अक्सर सर्दी में कम और बुखार में अधिक देखा जाता है।
    • थकान और कमजोरी:- बुखार में अधिक।
    • अत्यधिक थकान:- सर्दी में बहुत ही कम देखा जाता है।
    • मांसपेशियों में दर्द:- बुखार में अधिक।
    • शरीर का तापमान बढ़ना:- बुखार में अधिक।
    • छींक:- जो सर्दी में अधिक देखी जाती है।
    • बहती हुई नाक:- सर्दी में अत्यधिक पाई जाती है।
    • खाँसी:- बुखार की तुलना में सर्दी में बहुत कम देखी जाती है।
    • गले में खराश:- सर्दी में अधिक होती है।

    सर्दी होना आजकल आम बात हो गई है लेकिन यदि आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर स्वस्थ रहेंगे तो आपको यह सामान्य सी सर्दी भी छू नहीं पाएगी। स्वस्थ तरीके अपनाए और बीमारियों से दूर रहिए।

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    3 thoughts on “सर्दी-जुकाम: जानें इसके कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय”
    1. hamaare jukhaam sardi ki wajaah se hoti hai yaa bacteias ki wajaah se hoti hai ise mitaane ke liye hamen kyaa karnaa chaahiye?

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