सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वो फ़्रांस से खरीदे जाने वाले 36 राफेल विमान की कीमतों के बारे में 10 दिन के भीतर कोर्ट को जानकारी दे।
शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि सरकार विमान की कीमत, इसकी लागत और इसके फायदे से सम्बंधित जो भी दस्तावेज हैं वो एक सील बंद लिफ़ाफ़े में कोर्ट में 10 दिनों के भीतर जमा करे।
सरकार के एक उच्च कानून अधिकारी के.के.वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा ये संभव नहीं है है कि कोर्ट को कीमतों के बारे में बताया जाए क्योंकि इस बारे में अब तक संसद में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश प्रशांत भूषन, यशवंत सिन्हा और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
पिछले आदेश में कोर्ट ने कहा था कि सरकार डील की सारी जानकारी कोर्ट को मुहैया कराये लेकिन चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में 3 जजों की बेच ने कहा कि कोर्ट बस अपनी संतुष्टि के लिए ये जानना चाहता है। कोर्ट ने ये भी कहा कि जानकारी में वायुसेना के लिए ली जाने वाली उपकरणों की कीमत या जरूरतों को शामिल करने की आवश्यकता नहीं है , कोर्ट बस विमान की कीमत जानना चाहता है।
इस याचिका पर सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कॉल और जस्टिस एम। जोसेफ की खंडपीठ कर रही है। खंडपीठ ने कहा है कि उन्हें प्रोसेस के बारे में जानकारी मिली है और सरकार इसे याचिकाकर्ताओं के साथ भी साझा करे।
केंद्र की NDA सरकार ने अप्रैल 2015 में फ़्रांस की सरकार के साथ 36 राफेल विमानों को खरीदने का सौदा किया था। फ़्रांस की दसॉल्ट कंपनी इन विमानों का निर्माण करती है। पिछली सरकार ने 126 राफेल विमान खरीदने की योजना बनाई थी जिसमे से 108 विमानों का निर्माण भारत में Hindustan Aeronautics Ltd (HAL) को करना था।
कांग्रेस इस सौदे में घोटाले का आरोप प्रधानमंत्री पर लगा रही है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने बिजनेसमैन अनिल अम्बानी की कर्जे में डूबी कंपनी को बचने के लिए ये प्रोजेक्ट HAL के बदले रिलायंस को दे दिया है।