देश में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को रोकने के उद्देश्य से सरकार द्वारा दी गयी पेट्रोल-डीज़ल के दामों में 2.5 रुपये की छूट से रिलायंस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
देश में ईंधन की खपत बढ़ने के साथ ही भारत जापान को पीछे छोडकर विश्व का तीसरा सबसे अधिक ईंधन उपयोगकर्ता देश बन गया है। इसी के साथ रिलायंस ने देश में ईंधन बिक्री व्यवसाय को ध्यान में रखते हुए देश में 13 सौ से भी अधिक पंपों को स्थापित किया था।
इसी महीने 4 अक्टूबर को देश में पेट्रोल के दामों में हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी के साथ ही सरकार ने देश में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में 2.5 रुपये प्रति लीटर की कमी थी, जिसमें 1.5 रुपये का हिस्सा सरकार उठा रही है व 1 रुपये का बोझ तेल कंपनियों के ऊपर आया है।
सरकार की इस घोषणा के दिन ही रिलायंस के शेयरों में 6.9 प्रतिशत की कमी देखी गयी थी।
रिलायंस के शेयर के दामों में आई इस कमी के चलते रिलायंस की बाज़ार में कीमत गिरकर 6.64 हज़ार अरब रुपये पर आ गयी थी। वहीं इस गिरावट के साथ ही रिलायंस ने देश की सबसे मूल्यवान कंपनी होने की कुर्सी टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस) को गँवा दी थी। टीसीएस की कुल कीमत 6.77 हज़ार अरब रुपये हैं।
इस संबंध में रिलायंस के बड़े वित्त अधिकारी वेंकटचारी श्रीकांत ने कहा है कि “जब दामों में कमी होती है तो हमें तैयार होना पड़ता है, हम इस प्रभाव को अब और अधिक नहीं बढने देंगे।”
मालूम हो कि रिलायंस बीपी के साथ मिलकर अगले तीन सालों में देश में 2 हज़ार से भी अधिक पेट्रोल पंप खोलने पर विचार कर रही है।
मालूम हो कि रिलायंस देश में मुख्यतः सरकारी तेल कंपनियों के साथ ही प्रतिस्पर्धा में है। रिलायंस को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल कि बढ़ती कीमतों से भी खुद ही जूझना पड़ा है। रिलायंस देश की सबसे बड़ी तेल निर्यातकों में से एक है।