कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का सबरीमाला मुद्दे को लेकर रुख बदल गया है। पहले उनका मानना था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को नहीं रोकना चाहिए मगर अब अपने दो दिवसीय यूएइ दौरे पर उन्होंने कहा कि उन्हें दोनों बातो में सच्चाई नज़र आती हैं-महिलाओं के अधिकारों में भी और परम्पराओं की सुरक्षा में भी।
उनके मुताबिक, “मैं इस तर्क में वैधता देख सकता हूँ कि परम्पराओं को संरक्षित करना जरूरी है और मैं इस तर्क में भी वैधता देख सकता हूँ कि महिलाओं के पास समान अधिकार होने चाहिए।”
गाँधी ने इस बात की भी पुष्टि की कि उनके रुख में बदलाव, केरल के कांग्रेस नेताओं से बातचीत करने के बाद आया जिन्होंने मंदिर की परंपरा को संरक्षित करने का समर्थन किया था और आगे ये भी बताया कि वे राज्य के नेताओं पर ही ये फैसला छोड़ देंगे कि उन्हें किसका समर्थन देना है।
इससे पहले अक्टूबर में, कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि वे मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करते हैं जबकि उनकी ही पार्टी के केरल नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के मासिक धर्म की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने के खिलाफ की गयी रैली में हिस्सा लिया था।
उस वक़्त गाँधी ने कहा था-“मेरा स्टैंड पार्टी के स्टैंड के खिलाफ है। पुरुष और महिला समान हैं। महिलाओं को अपनी मर्जी से कहीं भी जाने दिया जाना चाहिए।”
इससे पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी मुद्दे में अपना रुख बदल लिया था और बताया था कि क्यों वे श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करने लगे।