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    सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश को शशि थरूर ने बताया 'अनावश्यक उत्तेजक कार्य'

    जबसे सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं ने प्रवेश किया है तभी से केरल में विरोध टूट पड़ा है। भाजपा सहित कई राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ विरोध में हिस्सा लिया है। और इन ही में से एक हैं कांग्रेस सांसद शशि थरूर जिन्होंने महिलाओं के प्रवेश को ‘अनावश्यक उत्तेजक कार्य’ कहा है।

    CNN न्यूज़ 18 से बात करते हुए उन्होंने बताया-“मैं कल्पना नहीं कर सकता कि इसने महिलाओं को कोई संतुष्टि दी क्योंकि वे अपने सिर पर इरुमुदिकेतु के साथ पवित्र 18 कदम तक नहीं गई थीं, जिस तरह से यह माना जाता है। इसलिए उन्होंने तकनीकी रूप से पूजा का अनुष्ठान नहीं किया है। ”

    बाद में, उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी “महिलाओं की समानता के पक्ष में बहुत अधिक मानती है, लेकिन वे हमारे देश में धार्मिक प्रथाओं की पवित्रता का सम्मान करने के पक्ष में भी है।”

    थरूर ने ये भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला मुद्दे के खिलाफ अप्पति और चिंता नहीं संभाल पा रही है तो उनकी पार्टी सारे विकल्प पेश करने के लिए तैयार है और साथ में वे केंद्र सरकार से भी ज़िम्मेदारी लेने के लिए कहेगी।

    उनकी इस टिपण्णी के बाद सोशल मीडिया पर उनके आलोचकों की सुनामी आ गयी। कई लोगो ने ट्वीट कर उनकी कड़ी निंदा की है जिसमे वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कैसे शशि थरूर ने अपना रंग बदल दिया। पहले वे महिलाओं के प्रवेश का समर्थन कर रहे थे और अब उसके खिलाफ बयां दे रहे हैं।

    दरअसल, शुरुआत में थरूर ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था और जब 28 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उन्होंने खुले मन का उसका स्वागत किया। मगर केरल में कांग्रेस के इस फैसले के खिलाफ करने वाले विरोध प्रदर्शन से उन्होंने भी अपना रुख बदल लिया।

    उन्होंने आगे बात करते हुए कहा कि ये मामला श्रद्धा का है नाकी लैंगिक समानता का।

    उनके मुताबिक, “शुरुआत में मुझे लगा कि इस मामले तक पहुँचना आसान है। मगर मैंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बहुमद द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया को देखा। सबरीमाला मुद्दे को लेकर केरल में एक अलग ही सामाजिक वातावरण है। कोई लोकप्रिय मांग नहीं है, प्रवेश की मांग करने वाली महिलाओं का कोई जन आंदोलन नहीं है।”

    उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी उन श्रद्धालुओ की मंदिर की पवित्रता का उल्लंघन करने वाली भावनाओं का सम्मान करती है जिसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण ठेस पहुँची है और वे आगे भी संवैधानिक साधन द्वारा ऐसा करती रहेगी। वे दक्षिणपंथी समूहों के जैसे कदम नहीं उठाएगी।

    https://youtu.be/sePyiD1bRTE

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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