भारत और फ्रांस के सम्बन्ध काफी समय से मजबूत रहे हैं। भारत की आजादी के बाद से ही फ्रांस भारत के लिए यूरोपीय देशों में सबसे महत्वपूर्ण रहा है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रॉन भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आये हुए हैं और इस दौरान शनिवार को दोनों देशों के बीच 16 बिलियन डॉलर के 14 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इसमें रक्षा, उर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों के महत्वपूर्ण समझौते शामिल हैं।
भारत-फ्रांस हमेशा से ही आपस में नज़दीकी और दोस्ताना संबंध साझा करते रहे हैं और इस लेख में हम दोनों देशों के बीच के रिश्तों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
इतिहास:
फ्रांस की भारत में उपस्थिति 18वीं सदी से है जब फ्रांस के जनरल डुप्लिक्स ने दक्कन के मुर्ज़फा जंग और चंदा साहिब के साथ कर्नाटक की जंग में रोबर्ट क्लाइव की ब्रितानी सेना के खिलाफ साथ में जंग लड़ी। यह दोस्ती फ्रांस के लिए काम आई क्योंकि उन्हें इसके बदले अलम्पराई किले जैसी जगहें उपहार के रूप में मिली।
फ्रांस को 1746 की मद्रास की लड़ाई में सफलता मिली और भारतियों और फ़्रांसीसी सैनिकों ने मिलकर 1749 में अन्वरुद्दीन की सेना को हराया। हालांकि की इसके बाद आर्कोट की लड़ाई में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1759 में मचिलीपटनम और 1760 में वंडवासी में भी फ्रांस की सेना को हार झेलनी पड़ी।
फ्रांसीसी नौसेना के एडमिरल सुफ्फ्रें ने मैसूर का बिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुई दूसरी लड़ाई में साथ दिया। लेकिन इसके बाद लगातार ब्रितानी ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत पर अधिकार बढ़ता गया और फ्रांस पोंडीचेरी, करिकल, यनम, माहे और चंदननगर जैसी जगहों तक ही सिमट गया।
ब्रितानी साम्राज्य और फ्रांस की सेनाओं का पहले विश्वयुद्ध और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय-ब्रितानी सेना ने साथ दिया और कई महत्वपूर्ण लड़ाईयां उनके संग लड़ी। फ्रांसिसी कमांडर फर्डिनैंड फ़ोक ने नयूव चैपेले की लड़ाई में भारतीय सेना के सहयोग का अलग से सम्मान और धन्यवाद जताया था, जिसमें करीब 4200 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
द्विपक्षीय सम्बन्ध:
भारत-फ्रांस के बीच मज़बूत द्विपक्षीय सम्बन्ध हैं, दोनों देशों के बीच हुए अनेक उच्च स्तरीय दौरे इसके प्रमाण हैं।
1980 के दशक की शुरुआत से फ्रांस ने भारत के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत करने की कोशिश की। यह कोशिश 1998 में फ़्रांसीसी राष्ट्रपति जैकेस चिराक के भारतीय दौरे में दोनों देशों के बीच सामरिक समझौता संधि के हस्ताक्षर के रूप में रंग लायी।
जनवरी 2008 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में फ़्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोज़ी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। इसके बाद सितंबर 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फ्रांस का दौरा किया जिसमें दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए। मनमोहन सिंह ने एक बार फिर जुलाई 2009 में फ्रांस का दौरा किया जब उन्हें बैस्टाइल दिवस समारोह में सम्मानीय अतिथि के रूप में बुलाया गया।
राष्ट्रपति निकोलस सरकोज़ी ने 2010 में भारत का दूसरा दौरा किया और 2013 में फ्रांस्वा ओलांद ने राष्ट्रपति के रूप में भारत का दौरा किया। 2015 में भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान सालों से लंबित लड़ाकू हवाई जहाज़ के ख़रीद के सौदे पर आखिरकार हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत भारत फ्रांस से 36 डसौल्ट रफ़ाल जहाज़ खरीद रहा है।
फ्रांस को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में सबसे ज़्यादा-5 बार अतिथि देश के रूप में बुलाया जा चुका है और इसी दौरान राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने 2016 में भारत का अपना दूसरा दौरा किया। और हाल ही में फ्रांस के नए राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रॉन, अपने पहले भारत के दौरे पर आये हुए हैं।
आर्थिक और रक्षा सहयोग:
भारत-फ्रांस के बीच 2016-17 के दौरान 10.96 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ जोकि 2015-16 के मुकाबले 2.66 बिलियन डॉलर ज़्यादा है। हालांकि, ये दोनों देशों के बीच 2008 में तय किये 12 बिलियन डॉलर के व्यापार लक्ष्य तक अभी तक नहीं पहुंच पाया है।
इस वक्त भारत में करीब 1000 फ्रांसिसी कंपनियां कार्यरत हैं जिनका कुल व्यापार 20 बिलियन डॉलर है और वे लगभग 3 लाख भारतीयों को रोज़गार दे रही हैं। फ्रांस भारत में 9वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है जिसने अप्रैल 2000 से मई 2016 तक 5.15 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। यह भारत में हुए कुल विदेशी निवेश का 1.5% है। निवेश के मामले में रसायन, सीमेंट, सर्विस और ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियां आगे हैं।
दूसरी तरफ़ भारत की 120 कंपनियां फ्रांस में काम कर रही हैं और लगभग 7000 लोगों को रोज़गार दे रही हैं। इनमें फार्मा, सॉफ्टवेयर, स्टील, प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां का सबसे ज़्यादा योगदान हैं।
भारत-फ्रांस के बीच 2008 में हुए परमाणु समझौते के बाद, भारत परमाणु उर्जा विकास निगम और फ्रांस की अरेवा के बीच राजस्थान के जैतापुर में परमाणु रिएक्टर निर्माण सम्बन्धी शुरुआती समझौते पर 2010 में हस्ताक्षर हुए। हालांकि यह प्रोजेक्ट इस वक्त, परमाणु उर्जा की सुरक्षा के ऊपर चल रही बहस के बीच में ज़्यादा आगे नहीं बढ़ पाया है।
रक्षा क्षेत्र की बात की जाए तो दोनों देशों की सेनाओं के रक्षा प्रमुख समय-समय पर एक-दूसरे के देश का दौरा करते हैं। भारत-फ्रांस के बीच युद्ध अभ्यास भी होते रहते हैं जैसे कि शक्ति (सैनिक अभ्यास), वरुण (नौसैनिक अभ्यास) एवं गरुड़ (वायु सेना का अभ्यास)। इस क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए उच्च समिति का भी गठन किया गया है जोकि हर साल भारत के रक्षा सचिव और फ्रांस के अन्तराष्ट्रीय रिश्तों के महानिदेशक के स्तर पर बैठक करती है।
भारत-फ्रांस के बीच 1982 में 36 मिराज-2000 लड़ाकू जहाज़ का सौदा हुआ था, ये जहाज़ भारत-पाक कारगिल युद्ध के दौरान बेहद कारगर साबित हुए थे। इस वक्त भारत 51 मिराज जहाजों का संचालन कर रहा है जिनका 2011 में एक सौदे के तहत बड़ा अपग्रेड किया गया है। भारत ने 2005 में फ्रांस के साथ 6 स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का 3 बिलियन डॉलर में सौदा किया, जिनका निर्माण तकनीक के हस्तांतरण से भारत के मज़गाँव डॉकयार्ड में हो रहा है। हालांकि यह परियोजना अपने तय समय से 4 साल पीछे चल रही है और पिछले साल ही भारतीय नौसेना ने पहली स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी कलवरी को शामिल किया है।
भारतीय वायुसेना ने 2015 में 36 डसौल्ट रफ़ाल लड़ाकू जहाजों का 7.8 बिलियन यूरो में सौदा पूरा किया। इन विमानों की आपूर्ति 2019 से भारतीय वायुसेना को शुरू होनी है।
फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रॉन की भारत यात्रा में हाल ही में दोनों देशों के बीच एक और महत्वपूर्ण समझौता हुआ है जिसके तहत सेनाएं, आपस में एक दूसरे के बंदरगाह का पूर्व सूचना देकर इस्तेमाल कर सकेंगी। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा और मानवीय सहायता के समय भी आपसी सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
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