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    भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज

    भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध साल 1947 यानी आज़ादी के साथ ही कड़वे हो चले थे। दोनों राष्ट्र अब तक चार जंग लड़ चुके हैं। दोनों राष्ट्रों के मध्य कश्मीर मामला एक विवाद बना हुआ है और सीमा विवाद हमेशा से ही मीडिया की सुर्ख़ियों में शुमार रहा है। संबंधों में खटास का कारण आतंकवाद भी है, जो पाकिस्तानी सरजमीं से भारत को निशाना बनाता है।

    भारत और पाकिस्तान के मसले और मौजूदा हालात 

    • भारत में सरकार के बदलने के साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ कट्टर और कठोर योजना पर अमल करने के बाबत सोचा गया था। हालाँकि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पड़ोसी पहले’ की नीति को अपनाया, जिसका मकसद उपमहाद्वीपीय देशों के साथ समबन्धों को प्रगाढ़ करना था।
    • इसके बाबत भारत की तरफ से कई बार पहल की गयी। मसलन, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया। नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी पीएम के आवास पर औचक यात्रा की, जो कई सकारात्मक पहलुओं की तरफ इशारा करती थी।
    • पाक पीएम से नरेंद्र मोदी की मुलाकात के चंद दिनों बाद साल 2016 में पठानकोट में इंडियन एयर फाॅर्स के बेस पर आतंकी हमला किया गया। इसके बाद दोनों देशों के मध्य बातचीत पर पूरी तरह पूर्णविराम लग गया था। अफवाहे हैं कि दोनो देशों में गोपनीय तरीके से बातचीत जारी है।
    • साल 2016 के मध्य से कश्मीर में हिंसक तत्वों में वृद्धि होने लगी। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को शहीद का दर्जा देकर हिंसक गतिविधियों को हवा देने का आरोप लगाया।
    • सितम्बर 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद हिंसक गतिविधियों में काफी इजाफा हुआ। इस हमले में 19 जवान शहीद हो गए थें, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तानी सरजमीं पर आज़ादी के साथ रह रहे लश्कर ए तैयबा ने ली थी।
    • भारत के पूर्व नौसैन्य अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाक सैनिकों ने ईरान-पाक सीमा पर स्थित बलूचिस्तान से अगवा किया था और उस पर जासूसी का आरोप लगाया था।

    पाक की राजनीतिक पटकथा में बदलाव 

    • पाकिस्तान में पनामा पेपर केस का मामला उठने पर कई राजनेताओं को सत्ता गंवानी पड़ी। तत्कालीन पाक पीएम नवाज़ शरीफ पर विदेशों से धन लेने का आरोप लगाया गया। पाक शीर्ष अदालत ने उन्हें पीएम पद के लिए अयोग्य करार दे दिया, वो देश के इतिहास में दूसरे प्रधानमंत्री बने जिन्हे सत्ता के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।
    • यह उस दौरान हुआ जब भारत और पाक के सम्बन्ध निचले स्तर पर थे और भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने वाले नेता की बर्खास्तगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं थी।
    • हालाँकि, पाकिस्तानी सेना इस मसले पर भी चुप्पी साधे रही। बहरहाल शीर्ष अदालत ने एक जॉइंट इन्वेस्टीगेशन टीम का गठन किया, जिसमे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के अधिकारी मौजूद थे। इससे सेना और ख़ुफ़िया विभाग का पाकिस्तान प्रभाव का अंदाजा लगता है।
    • कई जानकारों के मुताबिक पाक शीर्ष अदालत का निर्णय राजनीति से प्रेरित था। अदालत ने नेशनल अकॉउंटेब्लिटी ब्यूरो को पनामा पेपर से सम्बंधित अधिक जांच के आदेश दिए थे।
    [caption id="" align="alignnone" width="800"]भारत पाकिस्तान सीमा (वाघा बॉर्डर, अमृतसर) भारत पाकिस्तान सीमा (वाघा बॉर्डर, अमृतसर)[/caption]

    पाकिस्तान राजनीति और भारत-पाक रिश्तों पर प्रभाव 

    • प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने की इच्छा रखने में शुमार किया जाता था। उनकी बर्खास्तगी से नए प्रधानमंत्री के साथ संबंधों को बनाने पर प्रभाव पड़ सकता था।
    • यह चिंता का विषय था क्योंकि भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध पहले ही काफी ख़राब हो चुके थे। प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को पद से हटाने में सेना ने अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई थी। भविष्य अंधकार में रह गया था।

    • सीमा पार आतंकवाद हमेशा एक विवादित मसला रहा है।
    • कुछ जानकारों का मानना है कि दोनों ही राष्ट्र हमेशा युद्ध की स्थिति में रहते हैं।
    • कारगिल युद्ध के बाद साल 2003 में दोनों देशों ने सीजफायर समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। पाकिस्तान की तरफ से हमेशा सीमा का उल्लंघन किया जाता है। साल 2009 से 2014 तक यही ट्रेंड जारी रहा और उसने कई सुरक्षा कर्मियों की हत्या की और जख्मी किया साथ ही दोनों तरफ के नागरिकों का भी नुकसान हुआ था।

    • भारत में सरकार के बदलने के बाद, उल्लंघन के लिए भिन्न हथकंडा अपनाया गया। नयी सरकार की कट्टर नीति से बदले के लिए अंधाधुंध फायरिंग की गयी थी।
    • इसके आलावा आतंकियों की संख्या में भी इजाफा हुआ जो लाइन ऑफ़ कंट्रोल से होते हुए सीमा पार से आते थे।
    • हिज़्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद हिंसक गतिविधियों में इजाफा होने लगा। घाटी में व्यापक प्रदर्शन हुए और हालात असामान्य हो गए। रोजाना पत्थरबाज़ी और प्रदर्शनों में तीव्रता आने लगी।
    • पाकिस्तान ने इसका फायदा उठाया और सरकार और भारत की सेना के खिलाफ लड़ने के लिए प्रदर्शनकारियों को हर तरीके की मदद मुहैया करने का वादा किया। पाकिस्तान के पीएम में साल 2016 की यूएन की सभा में आतंकी वानी को शहीद घोषित कर दिया।
    • पाकिस्तान ने कई बार कश्मीर मसले को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जिसे भारत ने साल 1972 में हुए शिमला समझौते का उल्लंघन बताया। भारत ने कहा कि किसी भी विवादित मसले का समाधान द्विपक्षीय स्तर की शान्ति वार्ता से ही सुलझेगा।
    • उरी और पठानकोट हमले के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि “वार्ता और आतंक साथ संभव नहीं है।” भारत की तरफ से जवाबी कार्रवाई में सर्जिकल स्ट्राइक की गयी, जिसमे पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
    • सिंधु जल संधि, जो भारत-पाक के कड़वे और बुरे रिश्तों के दौरान भी कड़ी रही थी। इस संधि को 55 वर्ष से अधिक हो गए हैं जिसके तहत भारत पश्चिम से बाह रही नदियों को बिना रूकावट पाकिस्तान की तरफ बहने देता है।
    • भारत आतंकवाद के विनाश की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है, जबकि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। भारत और पाक के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई है।

    कुलभूषण जाधव मामला

    • कुलभूषण जाधव एक रिटायर्ड नौसैन्य अफसर था, जिसे पाक सैनिकों ने ईरान-पाक सीमा पर स्थित बलूचिस्तान से अगवा किया था और उस पर जासूसी का आरोप लगाया था।
    • पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने आतंकवाद और जासूसी के आरोप में अप्रैल 2017 में कुलभूषण जाधव को मौत की सज़ा सुनाई थी।
    • भारत ने जाधव तक राजनयिक पंहुच की मांग की थी जिसे पाक सुरक्षा विभागों ने ठुकरा दिया था। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने आतंकवाद और जासूसी के आरोप में अप्रैल 2017 में कुलभूषण जाधव को मौत की सज़ा सुनाई थी।
    • भारत के मुताबिक जाधव को ईरान से अगवा किया गया था, जहां वह नौसेना से रिटायर होने के बाद कारोबार के लिए गए थे और उनका सरकार को कोई लेना देना नहीं है।

    भारत-पाक संबंधों का भविष्य 

    • भारत और पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क है और पड़ोसियों को बदला नहीं जा सकता है। बेहतर यह है कि दोनों राष्ट्र सभी हिट से सम्बंधित मसलों को समझे और उन्हें जल्द सुलझाने का प्रयास करें।
    • भारत चाहता है कि पाक की सरजमीं से संचालित आतंकवाद पर वह सख्त कार्रवाई करें।
    • साथ ही 26/11 के हमलावरों की सुनवाई को जल्द पूरी करें। ताकि जल्द ही पीड़ितों को न्याय मिल सके और दोषियों को उनके अपराध की सज़ा मिले।
    • भारत की चिंताएं वाजिब है, क्योंकि पाकिस्तान की सरजमीं पर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी खुलेआम घूम रहे हैं। साथ ही भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दे रहे हैं और आतंकी हमलों को अंजाम दे रहे हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने आतंकवाद को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है और पाक को आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की हिदायत दी है।

    भारत-पाक सम्बन्ध: उठाये गए सकारात्मक कदम  

    • साल 2004 में शुरू हुई सम्मिलित वार्ता, जिसमे दोनों पक्षों के कुछ विवादस्पद मसलों को रखा जाता था और इसका परिणाम भी काफी अच्छा था।
    • दिल्ली-लाहौर बस सुविधा, दोनों राष्ट्रों के मध्य उपजे मतभेदों को काम करने की सबसे बेहतर योजना थी।
    • हाल ही का ‘उफ़ा समझौता’, जिसमे दोनों राष्ट्रों के सुरक्षा सलाहकारों ने रूस के उफ़ा में मुलाकात की थी। यह समझौता भरता और पाक के भविष्य के लिए एक सकारात्मक शुरुआत के तौर पर है।

    भारत और पाक के बेहतर संबंधों से फायदा 

    • यदि सीमा पर शान्ति होगी और कश्मीर मसले का समाधान निकालने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, तब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजर रहे चीन-पाक आर्थिक गलियारे से कश्मीर, और उसकी आवाम का आर्थिक फायदा निश्चित है। मध्य एशिया के लिए कश्मीर मुख्य द्वार बन सकता है।
    • तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन, यह तीनो देशों से होते हुए भारत में पंहुचेगी। यह दोनों राष्ट्र भारत और पाक की राष्ट्रीय ऊर्जा जरूरतों के लिए फायदेमंद साबित होगी। जो उभरते हुए राष्ट्र है और ऊर्जा की जरुरत भी बढ़ रही है।
    • ईरान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन, जो मौजूदा वक्त में रुका हुआ है। यह भी दोनों राष्ट्रों की ऊर्जा की जरूरतों की पूर्ती कर सकता है।
    • एक स्थिर अफगानिस्तान भी दोनों राष्ट्रों के लिए हितैषी साबित होगा। आतंकवाद ने भारत और पाक के साथ ही  अफगानिस्तान को भी काफी नुकसान पंहुचाया है। यह आतंकियों के लिए सुरक्षित स्थान है। पाक के साथ अच्छे सम्बन्ध अफगानिस्तान जाने का सीधा मार्ग खोल देंगे।
    • सार्क, भारत और पाक के ख़राब संबंधों के कारण इसका आयोजन बीते दो वर्षों से नहीं हो रहा है। इस संगठन द्वारा की गयी पहल को जल्द ही अमल में लाना जरुरी है।

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