अमेरिका और उसके सहयोगियों ने बीते दिन लीबिया में तनाव को तत्काल काम करने की मांग की है। उन्होंने सैन्य कार्रवाई के गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। हाल ही में लिबयन आर्मी के कमांडर खलीफा हफ्तार ने सेनाओं को त्रिपोली पर कब्ज़ा करने के आदेश दिए थे। यह लीबिया में यूएन समर्थित सरकार की राजधानी है।
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक अमेरिका, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात ने वांशिगटन में संयुक्त बयान में कहा कि “हम लीबिया में किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई का विरोध करते हैं और देश में तनाव को बढ़ाने के लिए किसी भी लीबिया के गुट की भागीदारी को उत्तरदायी मानेगे।”
इस बयान में कहा कि “सेना के तेवर और एकपक्षीय कार्रवाई के खतरे के बाद लीबिया के वापस अराजकता की पटरी पर आ जाने का जोखिम है।” नाटो समर्थित सेना के लीबिया में बढ़ी और साल 2011 में लम्बे समय के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को मार दिया था। इसके बाद दर्जनों चरमपंथी गुट दक्षिणी अफ्रीकी देश पर अपने नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं।
त्रिपोली में सरकार के विरोध में हफ्तार की सेना एक महत्वपूर्ण भूमिका में उभरी है और इसके सामानांतर पूर्व में एक अन्य प्रशासन का समर्थन कर रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र चीफ नें किया दौरा
संयुक्त राष्ट्र के चीफ एंटोनियो गुटेरेस आज पूर्वी लीबिया के दौरे पर हैं, जहाँ वे कमांडर खलीफा हफ्तर से मिलेंगे, जिनकी फौज इस समय त्रिपोली शहर की ओर बढ़ रही है।
यूएन चीफ की कोशिश है कि लीबिया में बने हुए तनाव को राजनैतिक रूप से सुलझाया जाए और इसमें हिंसा ना हो।
लीबिया में त्रिपोली के बाद एंटोनियो गुटेरेस तोब्रुक जायेंगे, जहाँ की स्थिति भी तनावपूर्ण है।
I am flying from Tripoli to Tobruk and Benghazi. My aim remains the same: avoid a military confrontation. I reiterate that there is no military solution for the Libyan crisis, only a political one.
— António Guterres (@antonioguterres) April 5, 2019
संयुक्त राष्ट्र चीफ नें हाल ही में ट्वीट के जरिये अपनी यात्रा की जानकारी दी। उन्होनें कहा,
मैं त्रिपोली से तोब्रुक और बेन्घाजी जा रहा हूँ। मेरा मकसद साफ़ है, सैन्य टकराव को रोकना। मैं फिर से दोहराना चाहता हूँ कि लीबिया के संकट का कोई भी सैन्य हल नहीं है, सिर्फ राजनैतिक हल संभव है।