Thu. Oct 31st, 2024
    लालू यादव

    आज का दिन बिहार की राजनीति में बहुत खास है। आज लालू यादव पर चारा घोटाला के मामले में सजा तय होना है। संभावना यह भी है कि लालू सात साल से ज्यादा समय के लिए जेल जा सकते है। अगर ऐसा होता है तो राजद में क्या क्या बदल जाएगा।

    अंदाजा लगाया जा रहा है कि लालू के जेल जाते ही पार्टी बिखर जाएगी। मीडिया के कई बड़े विशेष्ज्ञ भी इस बात के दावें कर रहे है कि राजद के कई बड़े नेता लालू के जेल जाते ही जदयू की टीम में शामिल हो जाएंगे हालंकि तेजस्वी ने ऐसे दावों को हमेशा अफवाह बताकर ख़ारिज किया है।

    लालू यादव की पार्टी की सबसे बड़ी खासियत है कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं में एकता और अखंडता का होना। लालू पर भले ही कई तरह के आरोप लगते रहते हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि राजद के सुप्रीमो कहे जाने वाले लालू सच में सुप्रीम है। उन्होंने कभी भी पार्टी को बिखरने नहीं दिया।

    लालू जब जब जेल गए है पहले से ज़्यादा मजबूत और पहले से ज़्यादा बलवान होकर लोटे है लेकिन इस बार भी ऐसा ही होगा इस बात पर संशय है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि लालू के बाद कौन?

    लालू को सजा होने पर तेजस्वी या राबड़ी बन सकते है पार्टी अध्यक्ष
    लालू को सजा होने पर तेजस्वी या राबड़ी बन सकते है पार्टी अध्यक्ष

    जेल जाने से पहले लालू ने मीडिया को बताया था कि घबराने की जरूरत नहीं है क्यूंकि उनका बीटा तेजस्वी सबकुछ संभाल लेगा, पार्टी भी और घर भी। लालू के इस बयान का क्या मतलब था? क्या लालू फैसला कर चुके है कि उनके जाने के बाद तेजस्वी ही पार्टी के नए चेहरे होंगे और अगर ऐसा है तो क्या पार्टी सचमुच इस फैसले को इतने आसानी से मान लेगी? क्या पार्टी के बड़े और अनुभवी नेताओं को यह स्वीकार्य होगा कि उम्र और अनुभव में छोटा होने के बावजूद तेजस्वी को पार्टी की कमान सौंप दी जाये?

    लालू को सजा होते ही पार्टी बिखर सकती है
    लालू को सजा होते ही पार्टी बिखर सकती है

    इसमें भी कोई शक नहीं कि तेजस्वी पार्टी के सक्रिय नेता है और पार्टी को लेकर हमेशा चिंतित रहते है। लालू की तरह उनको भी बिहार की जनता पसंद करती है लेकिन क्या फिर भी पार्टी उनके नाम पर समर्थन दे पायेगी? क्या पार्टी के बड़े नेता तेजस्वी का विरोध ठीक उसी प्रकार नहीं करेंगे जिस प्रकार उन्होंने तेजस्वी को लालू द्वारा सीएम उम्मीदवार बनाए जाने और उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले के वक्त किया था? क्या पार्टी में अब रघुवंश और सिद्दीकी जैसे नेताओं के स्वर तेजस्वी का विरोध नहीं करेंगे?