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    रोहिंग्या मुस्लिम

    रोहिंग्या मुस्लिम को विश्व की सबसे प्रताड़ित की जाने वाली अल्पसंख्यक समूह माना जाता है। वर्तमान में रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार से निकाल दिया गया है, एवं उन्हें शरण के लिए बांग्लादेश और भारत जैसे देशों में रुख करना पड़ रहा है।

    रोहिंग्या मुस्लिमों का कहना है कि वे पश्चिमी म्यांमार से सम्बन्ध रखते हैं एवं उनके पूर्वज सालों से वहां रहते आये हैं, जबकि म्यांमार सरकार का मानना है कि वे बांग्लादेश से आये शरणार्थी हैं।

    रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार

    (म्यांमार) बर्मा का इतिहास

    इतिहास पर नज़र डालें तो रोहिंग्या मुस्लिम लम्बे समय से भारत उपमहाद्वीप के बंगाल छेत्र में रहते थे। जब भारत अंग्रेजों के अधीन था, उस समय ज्यादातर रोहिंग्या मुस्लिम भारत के बंगाल छेत्र ( अभी बांग्लादेश ) से बर्मा में पलायन कर गए थे। 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के समय अंग्रेजों ने रोहिंग्या मुस्लिमों पर बहुत कहर ढाया क्योंकि अंग्रेजों के अनुसार रोहिंग्या मुस्लिम जापानी सेना का साथ दे रहे थे।

    1948 में बर्मा के स्वतंत्र होने के दौरान रोहिंग्या मुस्लिमों की इसमें बड़ी भूमिका थी। स्वतंत्रता के पश्चात् बर्मा में रोहिंग्या मुस्लिमों को ऊँचा दर्जा दिया गया और उनके नेताओं को संसद में भी जगह दी गयी।

    1960 के दशक से रोहिंग्या मुस्लिमों के बुरे दिन शुरू हो गए। इस समय बर्मा में रोहिंग्या मुस्लिमों को अल्पसंख्यक मानकर उन्हें बर्मा के लोगों से अलग देखा जाने लगा। 1960 में बर्मा के सुल्तान महमूद ने रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए अलग राज्य की मांग की। इसके दो दशक बाद 1982 में बर्मा में जब बर्मा राष्ट्रिय कानून पारित हुआ, तब इसमें रोहिंग्या मुस्लिमों को देश की जनता मानाने से इंकार कर दिया गया। रोहिंग्या मुस्लिमों के सभी अधिकारों को छीन लिया गया था।

    इसके बाद बर्मा की सरकार ने सेना का सहारा लेकर रोहिंग्या मुस्लिमों को हटाना शुरू कर दिया। 90 के दशक में बर्मा की सेना ने रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से निकलने के लिए कई बड़े अभियान चलाये। इस दौरान करीबन 250000 रोहिंग्या मुस्लिम अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश में घुसने लगे, जिसकी वजह से दोनों देश युद्ध की कगार पर खड़े हो गए।

    2015 से पहले म्यांमार के पश्चिमी छेत्र में करीबन 11 से 13 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते थे। 2016-17 में सेना द्वारा आक्रमण के बाद, उनमे से तक़रीबन 5 लाख लोग बांग्लादेश, भारत, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देशों में घुस आये हैं। 1 लाख रोहिंग्या मुस्लिम अभी म्यांमार के शरणार्थी कैम्पों में रह रहे हैं, और उनपर सेना द्वारा अत्याचार किया जा रहा है।

    रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार

    रोहिंग्या मुस्लिमों की हालत देखकर पूरा विश्व सकते में है। संयक्त राष्ट्र संघ इन मुस्लिमों के मौलिक हक़ इन्हे दिलाने के लिए कड़े प्रयास कर रहा है। इसके अलावा इन लोगों में ज्यादातर मुस्लिम लोग होने की वजह से मुस्लिम देशों में इसके खिलाफ रोष पैदा हो रहा है। मुस्लिम आतंकवादी संगठन इसमें हिस्सा ले रहे हैं और रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

    आगे पढें : म्यांमार में मोदी : भारत पर रोहिंग्या मुस्लिमों की सुरक्षा का दबाव

    एक वरिष्ठ पत्रकार मैथ्यू स्मिथ का मानना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को उनका हक़ दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को म्यांमार की सरकार से मिलकर इसका हल निकालना होगा। म्यांमार सरकार का यह कहना कि रोहिंग्या मुस्लिम बहुत साल पहले शरणार्थी के रूप में आये थे, बिलकुल भी सही नहीं होगा। रोहिंग्या मुस्लिमों की सहायता के लिए वैश्विक तौर पर कई मदद अभियान चलाये जा रहे हैं, जिनमे लोगों को भाग लेना चाहिए।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।