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    भाजपा और कांग्रेस

    राजस्थान में 7 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने करीब 700,000 पन्ना प्रमुखों की नियुक्ति की है जो मतदाता सूची में दर्ज हर मतदाता तक पहुंचे और 10 लाख से अधिक बूथ कर्मियों की नियुक्ति की है और उनपर मतदाताओं को प्रोत्साहित कर मतदान केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

    इसी तरह कांग्रेस ने भी करीब 1.3 लाख कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया है मतदाताओं को मतदानदान केंद्र तक लाने के लिए। राज्य में कूल 51,796 मतदान केंद्र बनाये गए हैं और कांग्रेस ने एक मतदान केंद्र पर करीब 27 कार्यकर्ता नियुक्त किये हैं जिनपर मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी है। कांग्रेस ने इस काम में युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और देवा दल को लगाया है जबकि भाजपा के लिए ये जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निभा रही है।

    कई छोटी छोटी पार्टियों आम आदमी पार्टी, और भाजपा से अलग हो कर घनश्याम तिवारी की भारत वाहिनी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के चुनाव में हिस्सा लेने और सरकार बनाने के दावों के बावजूद चुनावी मुकाबला सीधे सीधे भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है।

    आम आदमी पार्टी ने राज्य में 187 उम्मीदवारों को खड़ा किया है जबकि घनश्याम तिवारी की भारत वाहिनी पार्टी ने 64  और बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने 57 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। बहुजन समाज पार्टी 197 उम्मीदवारों के साथ मैदान में है। कांग्रेस 195 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि 5 सीटें उसने अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल, शरद पवार की पार्टी एनसीपी और शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल के लिए छोड़ी है।

    वसुंधरा राजे जहाँ अपने उम्मीदवारों के लिए ओउरे राज्य में चुनाव प्रचार कर रहीं है वहीँ उन्होंने अपने सीट झालर पाटन की जिम्मेदारी अपने बेटे दुष्यंत और अपनी बहु निहारिका को सौंप रखी है। दुष्यंत झालवाड़ से संसद हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपनी उम्मीदवारों के लिए राजस्थान की धुल फांक रहे लेकिन अपने सीट सरदारपूरा की जिम्मेदारी उन्होंने अपने बेटे वैभव गहलोत और अपनी बहुत हिमांशी गहलोत और अपनी बीवी सुनीता गहलोत को सौंप रखी है।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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