आदित्य सरवाटे के छह विकेट हॉल की बदौलत, विदर्भ की टीम ने लगातार दूसरी बार रणजी ट्रॉफी के खिताब पर किया अपना कब्जा। विदर्भ क्रिकेट ऐसोसिएशन, नागपुर में खेले जा रहे इस मैच में पांचवे दिन विदर्भ की टीम 127 रन पर ढेर हो गई।
चौथे दिन के खेल के अंत तक सौराष्ट्र की टीम के 58 रन पर 5 विकेट थे और टीम को आखिरी दिन जीत के लिए 148 रनो का और जरूरत थी, जहां कमलेश मकवाना और विश्वराज जडेजा क्रीज पर बने हुए थे। अगर सौराष्ट्र की टीम मैच ड्रॉ खेलकर भी कोई फायदा नही होता क्योंकि विदर्भी की टीम ने पहली इनिंग में बढ़त बना रखी थी। और इसे देखकर उनका रणजी ट्रॉफी का विजेता घोषित किया जाता।
ताजा तौर पर, मकवाना और जडेजा ने विदर्भ के गेंदबाजो पर सतर्क रवैया नही अपनाया और इसके बजाय विदर्भ की टीम पर दबाव बनाने का फैसला किया।
आक्रामक रुख को जारी रखते हुए, मकवाना ने पारी के 15वें ओवर में सरवटे के ओवर में एक चौका मारा। हालाँकि, यह आक्रामक रुख नहीं था, जो उसके पतन के बारे में था। मकवाना अपनी पारी को ज्यादा देर नियंत्रण में रखने में असफल रहे क्योंकि वह केवल 14 रन के स्कोर पर पवैलियन लौट गए। और वह सरवटे के पांचवे विकट का शिकार बने। जब मकवाना आउट हुए तो उस वक्त टीम का स्कोर 88 रन पर 6 विकेट हो गया था।
उसके बाद बल्लेबाजी करने आए प्रेनक मांकड भी कुछ खास नही कर पाए और टीम के लिए केवल 2 रन का ही योगदान दे सके। जिसके बाद टीम का स्कोर 91/7 हो गया था। और सौराष्ट्र की टीम के लिए जीत के दरवाजे बंद नजर आ रहे थे।
उनके आउट होने के बाद सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव उनादकट बल्लेबाजी करने आए। जहां उन्होने विश्वराज जडेजा के साथ मिलकर टीम के स्कोर को 100 के पार पहुंचाया। 100 का स्कोर पार होते ही जडेजा भी अपना विकेट गंवा बैठे और टीम का स्कोर 103/8 पर आ गया था। जिसके बाद पूरी सौराष्ट्र की टीम 127 रन पर ढेर हो गई। दूसरी पारी में विदर्भ की टीम से सरवटे 24 ओवर में 59 रन देकर 6 विकेट चटकाए। जिसकी बदौलत विदर्भ की टीम अपने खिताब का बचाव करने में सफल रही।