संयुक्त राष्ट्र और उनके सहयोगियों ने नौ लाख रोहिंग्या शर्णार्थायायों की बुनियादी जरूरतों के लिए 92 करोड़ धनराशि जुटाने की अपील की है। म्यांमार के रखाइन प्रान्त से सेना की बर्बरता के कारण रोहिंग्या मुस्लिमों को भागकर अन्य देशों में पनाह लेनी पड़ी थी। इसे दुनिया का सबसे भयावह शरणार्थी संकट करार दिया गया है।
यूएन हाई कमिशन फॉर रिफ्यूजी के फिलिपो ग्रांड्य ने कहा कि “बेघर रोहिंग्या शरणार्थियों के हालातों को स्थिर ाकरने के लिए आज मानवीय मदद अनिवार्य है। हम उम्मीद करते हैं कि लक्ष्य को हासिल करने के लिए वक्त से, उम्मीद के मुताबिक और लचीला योगदान मिलेगा ताकि इस वर्ष के की अपील को पूरी हो सके।
इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के डायरेक्टर जनरल ऐंटोनिओ वीटोरिनो ने कहा कि “बांग्लादेश सरकार की एकजुटता और मानवीय साझेदारों की प्रतिबद्धता ने साल 2018 के पहले संयुक्त प्रतिक्रिया योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है। उन्होंने कहा कि “हम इस समुदाय की सख्त जरूरतों को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इन प्रयासों को समर्थन देने का आग्रह करते हैं।”
उन्होंने कहा कि “इस मानवीय जरुरत के तत्काल निपटान के साथ ही हमें इसके समाधान को तलाशना नही भूलना चाहिए। इस संकट के निपटान के लिए जड़ से कार्रवाई करना है ताकि लोगों को अपने देश से भागना न पड़े।” बीते वर्ष में रोहिंग्या समुदाय की बुनियादी जरूरतों की पूर्ती के लिए कई सुधार कार्य किये गए थे लेकिन हालात जस के तस है।
सभी शरणार्थियों को बारिश के मौसम में बेसिक इमरजेंसी शेल्टर किट मुहैया की गयी थी। 860000 शरणार्थियों को नियमित तौर पर भोजन सहायता मिलती है। हालाँकि अभी साफ़ पेयजल, स्वास्थ्य सुविधा, स्वछता और आदि में निवेश जारी है।
यूएनएचसीआर के प्रमुख ने कहा कि “हम इस क्षेत्र के देशों को प्रोत्साहित करेंगे कि वे बांग्लादेश के साथ एकजुटता दिखाए। साथ ही म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए सुरक्षित और गरिमापूर्ण माहौल बनाने के लिए बातचीत करेंगे। दक्षिण पंथी समुदाय ने इसे नरसंहार करार दिया था।