भारत की राजधानी दिल्ली में डर के साये में जी रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को गृह मंत्रालय ने नेशनल वेरिफिकेशन फॉर्म भरने का आदेश दिया है। दिल्ली के शिविरों में रह रहे रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों ने बताया कि उन्हें डर है कि सरकार उनकी सूचना एकत्रित कर रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेज देगी।
रोहिंग्या शरणार्थियों ने बताया कि उनमे से अधिकतर कई सालों से दिल्ली में रह रहे हैं। रोहिंग्या मुस्लिमों के पास यूएन से प्रमाणित शरणार्थी कार्ड है। शरणार्थियों ने कहा कि भारत में जन्मे हमारे बच्चों को सरकार वापस हिंसा के गढ़ म्यांमार में भेज देगी।
यूएनएचसीआर (यूनाइटेड नेशन हाई कमिश्नर रिफ्यूजी) शरणार्थियों के अधिकारों का संरक्षण करने वाली एक वैश्विक संस्था है। यूएनएचसीआर ने बताया कि उन्होंने भारतीय विभागों से रोहिंग्या समुदाय को नेशनल वेरिफिकेशन फॉर्म भरवाने को लेकर जानकारी मांगी है।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 1 अक्टूबर को राज्य सरकारों को अपने राज्य में प्रवेश कर रहे रोहिंग्या मुस्लिमों की बायोमेट्रिक जानकारी जुटाने का आदेश दिया। इस मसले के कूटनीतिक हल के लिए राज्य सरकारों द्वारा दी गयी बायोमैट्रिक जानकारी को केंद्र सरकार म्यांमार को सौंप देगी।
पिछले दो दिनों से दिल्ली पुलिस शरणार्थी शिविरों में जाकर शरणार्थियों को राष्ट्रीयता जांच फॉर्म भरने के लिए परेशान कर रही है हालाँकि वापस म्यांमार भेजे जाने के डर से शरणार्थियों ने फॉर्म भरने से इंकार कर दिया है।
दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बताया कि यह कार्य गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। उन्होंने कहा शहर में 1000 रोहिंग्या शरणार्थियों ने फॉर्म भर दिए है।
म्यांमार से भागकर आये रोहिंग्या शरणार्थी ने बताया कि मेरे बच्चों का जन्म दिल्ली में हुआ है और वे म्यांमार में हिंसा के बीच जिन्दा नहीं रह पाएंगे। मैं सरकार से अनुरोध करना करता हूँ कि हमें वापस म्यांमार न भेजे। उन्होंने कहा पुलिस ने फॉर्म भरने के लिए हमारे साथ जबरदस्ती भी की।
यूएनएचसीआर के मुताबिक म्यांमार का रखाइन प्रान्त की हालत रोहिंग्या मुस्लिमों के रहने लायक नहीं है। उन्होंने कहा रोहिंग्या शरणार्थियों से अधिकारियों ने सीधे सम्पर्क बनाया हुआ है।
इस राष्ट्रीयता जांच फॉर्म में शरणार्थी का नाम, जन्म स्थान, धर्म, आँखों का रंग, राष्ट्रीय पहचानपत्र और आपराधिक मामलों की जानकारी मांगी गई है।
म्यांमार बौद्ध बहुसंख्यक राष्ट्र है जहाँ रोहिंग्या मुस्लिमों को साल 1982 से नागरिकता नहीं दी गयी है। म्यांमार में हिंसा के कारण हज़ारों रोहिंग्या शरणार्थियों ने पड़ोसी देशों में शरण ले थी।
लगभग 70000 शरणार्थी बांग्लादेश के शिविरों में आश्रित हैं। शरणार्थियों ने म्यांमार की सेना पर दुष्कर्म, हत्या और आगजनी का आरोप लगाए थे। केन्द्र सरकार के मुताबिक भारत में 40000 रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।