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    नरेंद्र मोदी universal basic income in hindi

    गतवर्ष 2018 में पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव आयोजित हुए थे जिसके चौंका देने वाले परिणाम देखने को मिले थे। मोदी सरकार पांच राज्यों में से एक राज्य के भी चुनाव नहीं जीत पायी थी। अब 2019 के चुनावों में कुछ ही समय बाकी रह गया है।

    अतः अभी बीजेपी के पास दो विकल्प हैं या तो किसी बड़ी स्कीम की घोषणा करे या फिर बिना नयी स्कीम के चुनावों में प्रवेश करे। यदि मोदी सरकार अब किसी नयी स्कीम की घोषणा नहीं करती है तो यह विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता की वह चुनाव जीत जायेगी।

    2018 के चुनाव हारने के मुख्य कारण :

    विशेषज्ञों के मानना है की इन चुनावों को बीजेपी मुख्या रूप से किसानों के खोये समर्थन की वजह से हार गयी थी। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है की व्यापारियों के लिए भी बीजेपी इन चार सालों में कोई ख़ास योजना नहीं ला पायी एवं उन्हें विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की वजह से लगातार घाटा हो रहा है। इसके साथ साथ सामान्य वर्ग आरक्षण की मांग कर रहा है।

    इन सभी कारणों के चलते बीजेपी ने इन सभी वर्गों का समर्थन खो दिया एवं परिणामस्वरुप इसे चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा।

    मोदी सरकार के सुधारात्मक उपाय :

    चुनावों में बड़ी हार मिलने के बाद बीजेपी सरकार सकते में आ गयी एवं अब वह सभी वर्गों का समर्थन वापस पाने की लगातार कोशिश कर रही है। अभी तक बीजेपी ने किसानों व्यापारियों एवं सामान्य विभिन्न स्कीम की घोषणा की है।

    किसानों के कर्ज किये माफ़ :

    2018 चुनावों से पहले मोदी सरकार ने एमएसपी जैसी योजनाएं लायी थी जोकि किसानों के हालत में कोइ सुधार लाने में अक्षम रही थी। इससे किसानो में बीजेपी के प्रति रोष पैदा हुआ। कांग्रेस सरकार ने चुनाव जीतते ही अपने राज्यों में किसानो के कर्ज माफ़ कर दिए। इसी का अनुसरण कर बीजेपी ने भी अपने कुछ राज्यों में किसानो के कर्ज माफ़ किये।

    समान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण :

    लम्बे समय से सामान्य वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण की मांग कर रहा है। ऐसे में चुनाव हारने के बाद बीजेपी ने सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की। इसे बीजेपी सामान्य वर्ग का खोया साथ वापस पाने की कोशिश कर रही है।

    व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों के नियम किये सख्त :

    सुधारात्मक उपायों के अंतर्गत बीजेपी ने व्यापारियों के अनुग्रह पर ई-कॉमर्स कंपनियों के नियम भी सख्त किये जिससे अब वे डिस्काउंट पर उत्पाद नहीं बेच पाएंगी। ऐसा व्यापरियों को हो रहे घाटे को हो रहे घाटे को कम करने के लिए किया गया।

    ये उपाय करने के बाद विशेषज्ञों के अनुसार मोदी सरकार की आगामी चुनावों में जीत पक्की नहीं है। क्योंकि कांग्रेस सरकार ने भी बीजेपी की तरह किसानो के कर्ज माफ़ किये हैं एवं अन्य वर्गों के लिए भी कांग्रेस सरकार बड़े वादे कर  कर रही है जिसके चलते कांग्रेस का पलड़ा अभी भी भारी है। अतः मोदी सरकार को एक बड़ी स्कीम की ज़रुरत है। ऐसे में ख़बरें आ रही हैं की मोदी सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम जारी कर सकती है।

    क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम (universal basic income)

    यूनिवर्सल बेसिक स्कीम के तहत देश के हर नागरिक के बैंक खाते में सीधे एक फिक्स्ड अमाउंट ट्रांसफर किया जाएगा।

    • इस योजना के तहत लोगों की सामाजिक और आर्थिक अवस्था मायने नहीं रखती है।
    • यूबीआई की सबसे खास बात है कि यह सबके लिए होगा. यह किसी खास वर्ग को टारगेट करके नहीं लागू किया जाएगा।
    • यह बिना शर्तों का होगा यानी किसी व्यक्ति को अपनी रोजगार की स्थिति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति को साबित करने की जरूरत नहीं होगी।
    • यूबीआई के तहत सिर्फ जीरो इनकम वाले लोगों को ही इस सुविधा का पूरा लाभ मिलेगा।
    • ऐसे लोग जिनकी बेसिक इनकम के अलावा भी आमदनी का जरिया होगी, उनके इनकम पर टैक्स लगाकर सरकार फायदे को कंट्रोल करेगी।

    क्यों यह स्कीम मोदी सरकार के लिए हो सकती है ब्रह्मास्त्र :

    यह स्कीम मोदी सरकार के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती है क्योंकि सरकार इस योजना के माध्यम से राजनीतिक लाभ लेने की भी सोच रही है। कांग्रेस के किसान कर्ज माफी की योजना ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।  बीजेपी देशभर में किसान कर्ज माफी के पक्ष में नहीं है ऐसी स्थिति में पार्टी के लिए यह योजना काफी कारगर साबित हो सकती है।

    ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि यह स्कीम लागू की जाती है तो यह देश में हर वर्ग को लाभ देगी। विशेषज्ञों का कहना है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इसे लागू करने में सफल होती है तो यह पार्टी के लिए जीत दिलाने वाली योजना साबित होगी।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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