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    भारत और चीन

    चीन का मुखपत्र या सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक भारत के प्रधानमंत्री चीन को चुनावो में जीत के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। अखबार के मुताबिक “भारत में आम चुनावो की तारीख 11 अप्रैल से 19 मई तक तय की गयी है और इससे ठीक पहले ही भारत और पाकिस्तान के बीच जंग के हालत पैदा हो गए। फरवरी में भारतीय सैनिकों के काफिले पर आतंकी हमले का प्रतिकार भारत ने हवाई हमले से लिया। भारत ने हाल ही में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने के लिया प्रस्ताव रखा था।”

    चुनाव के लिए चीन की मदद

    ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक “यह प्रदर्शित करता है भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी, पाकिस्तान के साथ विवाद को आम चुनावो में अपनी जीत के हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। ताकि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को बढ़ाया जा सके और मतदाताओं को लुभाया जा सके।”

    भारत के सीआरपीरफ के काफिले पर आतंकी हमले की जिम्मेदारी मसूद अज़हर ने सार्वजानिक स्तर पर ली थी। अजहर के खिलाफ यूएन में प्रस्ताव भारत ने नहीं बल्कि फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने रखा था। चुनाव से पूर्व ही नहीं बल्कि मोदी सरकार सिलसिलेवार इस प्रस्ताव को साल 2016, 2017 में भी यूएन में रख चुकी है।

    अखबार के अनुसार, आम तौर पर द्विपक्षीय समस्याओं को भारत और अन्य देशों में चुनावी मुद्दों में शामिल नहीं किया जाता है, जब तक तनाव जंग में तब्दील होने की कगार पर न आ जाए। भारत और चीन के मध्य काफी समस्याएं हैं, लेकिन हालात अभी संकट से काफी परे हैं। चीन को भारत के आम चुनावो से कोई लेना-देना नहीं है, इसके बावजूद मतदाताओं का ध्यान भटकाने के लिए नरेंद्र मोदी चीनी कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं।

    मोदी की लोकप्रियता हुई कम

    ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि “बीजेपी को एक वक्त पर चुनाव जीतने पर पूरा भरोसा था लेकिन घरेलू संकट के कारण यह विश्वास कम होता गया। एक अनुभवी राजनेता होने के नाते नरेंद्र मोदी किसी अन्य मुद्दे को उठाने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। चीनी कार्ड भारत के उत्तर क्षेत्र में कुछ कार्य करता हैं, जहां भारत और चीन के बीच सीमा विवाद है। यह क्षेत्र अविकसित है और ऐसे क्षेत्रों में रह रहे लोगों की राष्ट्रभक्ति भावनाएं बेहद मज़बूत होती है।”

    रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी की लोकप्रियता काम हो गयी है, इसलिए हर अवसर को वोट भुनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। चीनी कार्ड के आलावा मोदी पाकिस्तान के साथ तनाव का भी बखूबी प्रयोग कर रहे हैं। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय भावनाओं को आहत पंहुचाया है। कुछ भारतीय इस बात को मानने के लिए राज़ी हो गए कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष में चीन ने इस्लामाबाद का समर्थन किया है।”

    आमतौर पर कूटनीति कार्ड खेलना कार्य नहीं करता है, लेकिन इसका इस्तेमाल उत्तर भाग में किया है जहां की जनसँख्या काफी है। उत्तर प्रदेश में 20 करोड़ भारतीयो का घर है। जितनी अधिक जनसँख्या उतने अधिक मतदाता। नरेंद्र मोदी दक्षिणी भारत में चीनी कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। क्योंकि वह अधिक विकसित और समृद्ध है। अंतर्राष्ट्रीय हालातों की जानकारी रखने वाला व्यक्ति नरेंद्र मोदी के मंसूबों का अंदाजा लगा सकता है।

    उन्होंने लिखा कि इस वर्ष के आम चुनाव काफी जटिल है कौन जीतेगा यह बताना बेहद मुश्किल है। कांग्रेस पार्टी ने राज्य के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है। बहरहाल, कांग्रेस के पास एक बेहतर नेतृत्व नहीं है। नेहरू-गाँधी परिवार के वंशज राहुल गाँधी ने चुनावी रैलियों में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया है। अपनी बहन प्रियंका गाँधी के मुकाबले राहुल गाँधी काफी पीछे हैं। भारत की जनता राहुल को अपना प्रधानमंत्री चुनेगी, यह मुश्किल प्रतीत होता है।

    भारत और चीन के सम्बन्ध साल 2017 में डोकलाम तनाव के बाद वापस पटरी पर आ गए हैं। मसूद अज़हर का मामला गंभीर नहीं है। नई दिल्ली को समझना चाहिए कि चीन एक मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है क्योंकि वह भारत-पाकिस्तान के बीच जंग को नहीं देखना चाहता हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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