अमेरिका राज्य विभाग ने बुधवार को कहा कि “हमने भारत के ‘मिशन शक्ति’ पर दिए बयान पर संज्ञान लिया है जबकि अंतरिक्ष में मलबे के बढ़ने के बाबत चिंता व्यक्त की है।”
बीबीसी के मुताबिक अमेरिका के बयान के अनुसार “अंतरिक्ष पर कचरा बढ़ने का मसला अमेरिकी विभाग के लिए महत्वपूर्ण है। हमने भारत सरकार से इसके बाबत जानकारी मांगी है।”
बयान में बताया कि “भारत के साथ साझेदारी का भाग होने के नाते अमेरिका संयुक्त हित के अंतरिक्ष, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग जारी रखेगा। इसमें अंतरिक्ष में सुरक्षा और रक्षा का मुद्दा भी शामिल है।”
बयान के अनुसार “राज्य विभाग ने पीएम मोदी की भारत के एंटी मिसाइल परिक्षण ओर दिए भाषण को देखा है। भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी का भाग होने के नाते अमेरिका संयुक्त हित के अंतरिक्ष, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग जारी रखेगा। इसमें अंतरिक्ष में सुरक्षा और रक्षा का मुद्दा भी शामिल है।”
बुधवार को भारत की एंटी सैटेलाइट हथियार ए-सैट ने सफलतापूर्वक धरती की निम्न कक्षा पर मौजूद सैटेलाइट को ध्वस्त कर दिया था। अब तक इसे ताकतवर देश जैसे अमेरिका, रूस और चीन ने ही यह कारनामा किया है।
नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि “भारत ने अपना नाम अंतरिक्ष के ताकतवर देशों की सूची में शामिल कर लिया है।अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यश मुकाम हासिल करने वाला चौथा देश है। मिशन शक्ति को बेहद मुश्किल लक्ष्य को भेदना था, जिसे मात्र 3 मिनट में सफलतापूर्वक लांच कर दिया था।”
प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त करते हुए कहा कि “इस परिक्षण ने किसी अंतर्राष्ट्रीय कानून या संधि का उल्लंघन नहीं किया है और भारत हमेशा अंतरिक्ष में हथियारों की रेस के खिलाफ प्रतिबद्ध रहा है।”
नासा चीफ नें भी इसपर अपनी टिपण्णी की है। नासा चीफ जिम ब्राइडनस्टीन नें भारत का नाम लिए बिना कहा कि इसके परिणाम गलत हो सकते हैं यदि हमनें किसी उपग्रह को नष्ट किया और उसके भाग अंतरिक्ष में ही तैरते रहे।
जाहिर है उनका मानना है कि भारत को नष्ट किये उपग्रह के पुर्जों को भी हटाना होगा।
अमेरिका की सेना की ओर से भी इसपर टिपण्णी की गई है।
रायटर्स के मुताबिक अमेरिकी सेना की सेक्रेटरी पैट्रिक शन्हन नें कहा, “हम सब स्पेस में रहते हैं, हमें इसे साफ़ रखना चाहिए।”
उन्होनें आगे कहा, “स्पेस ऐसी जगह है जहाँ सब अपना काम कर सकते हैं। यहाँ सभी को अपना कार्य करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।”