मालदीव में शनिवार को संसदीय चुनावो का आयजन होगा और चीन के कर्ज की जांच के लिए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह को जीत बहुमत की जरुरत है। मालदीव पर चीन का कर्ज तीन अरब डॉलर से अधिक हो सकता है जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है। बीते वर्ष सितम्बर में राष्ट्रपति ने चीनी समर्थक अब्दुल्ला यामीन को कुर्सी से बेदखल किया था।
इब्राहिम सोलीह की मालदिवन डेमोक्रेटिक पार्टी ने तीन अन्य सियासी दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनायीं है। उन्होंने चीनी कंपनियों का मालदीव पर भारी कर्ज की चिंता व्यक्त की है।
हिन्द महासागर में बसा एक द्वीप, मालदीव में 260000 मतदाता हैं। यहां भारत और चीन के प्रभुत्व के बीच जंग चलती रहती है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में चीन ने द्वीप में बेल्ट नाड रोड की योजना के तहत करोड़ो रूपए निवेश किये थे।
एमडीपी ने चुनावी अभियान के दौरान ढांचागत परियोजनाओं की जांच का संकल्प लिया था और मालदीव पर चीन के असल कर्ज के खुलासे का दृढ निश्चय किया था। सरकार के मुताबिक यह कर्ज तीन अरब डॉलर से अधिक हो सकता है। यामीन ने चीनी कर्ज के साथ कुछ गलत करने के आरोपों को ख़ारिज किया है।
रायटर्स के मुताबिक एमडीपी की प्रवक्ता अफशान लतीफ़ ने बताया कि “राष्ट्रपति को जरुरत के मुताबिक सहयोग और समर्थन मिल रहा है। भ्रष्टाचार और गबन की पूर्ण जांच के आदेश देने के लिए संसद में एमडीपी को बहुमत मिला बेहद महत्वपूर्ण हैं। ताकि गायब हुए और जिनकी हत्या हुई उनको न्याय दिलाया जा सके और सरकार के वादों को पूरा किया जा सके।”
द जमहूररी पार्टी के नेता और संसद के अध्यक्ष गसिम इब्राहिम इस पर टिप्पणी करने के लिए नहीं मिले। पूर्व में उन्होंने कहा था कि “जांच के लिए समिति का गठन असंवैधानिक हैं।” जमहूररी पार्टी और अब्दुल्ला यामीन की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव दोनों ही राष्ट्रवाद और धार्मिक एजेंडो लड़ती है।
गसिम में कहा कि “एमडीपी को बहुमत मिलने से सहिष्णु मालदीव बनने की अनुमति मिलेगी और साथ ही मुस्लिम बहुसंख्यक देश में चर्च और मंदिर के निर्माण होंगे। कई संसदीय क्षेत्रों में एमडीपी ने अपने ही गठबंधन साझेदारों के खिलाफ प्रत्याशी उतारे हैं।” 87 संसदीय क्षेत्रों में से उन्होंने 85 पर उमीदवार खड़े किये हैं, द जमहूररी पार्टी ने 51 उम्मीदवार उतारे हैं और पीपीएम 50 सीटों पर लड़ रही हैं।
भ्रष्टाचार के मामले में अब्दुल्ला यामीन ने बीते माह पुलिस की हिरासत में गुजारा था उन्हें प्रचार के आखिरी हफ्ते में 28 मार्च को जमानत पर रिहा कर दिया था।