अमेरिका ने मालदीव की नवनिर्वाचित सरकार को लोकतंत्र, सुरक्षा और समृद्धि के क्षेत्र में अधिक सहयोग देने का प्रस्ताव दिया है।
अमेरिका नें कहा है कि यदि यामिन आसानी से सत्ता नहीं छोड़ते हैं, तो अमेरिका को इसमें शामिल होना पड़ेगा। अमेरिका नें कहा कि किसी भी क्षेत्र में शान्ति बहाल करने के लिए यदि कोई भी रुकावट आती है, तो अमेरिका उसे चुनौती देने के लिए तत्पर है।
अमेरिका नें इस दौरान चीन पर भी निशाना साधा। जाहिर है मालदीव की यामिन सरकार चीन की समर्थक है, वहीँ नए चुने गए राष्ट्रपति सोलिह भारत के करीबी कहे जाते हैं।
अमेरिकी प्रवक्ता ने कूटनीतिक ऐलिस वेल्स की राष्ट्रपति पद के लिए चयनित इब्राहिम सोलह से मुलाकात के बाद कहा कि अमेरिका और सहयोगी देशों के लिए चिंतानीय है कि किस प्रकार मालदीव में लोकतंत्र को बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि मालदीव की जनता की इच्छा की कद्र और मान रखना चाहिए।
ऐलिस वेल्स ने अब्दुल्ला यामीन को सन्देश देते हुए कहा कि यह बेहद निर्णायक जीत थी और राष्ट्रपति यामीन ने अपनी पार्टी की हार के बाद सही कदम उठाया। उन्होंने कहा राष्ट्रपति यामीन को अब जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कौन चुनाव जीता इसमें कोई संदेह नहीं है। अमेरिका को उम्मीद है कि जनता की आवाज़ को राष्ट्रपति यामीन स्वीकार करेंगे।
मालदीव चुनावों में इब्राहिम सोलिह के विपक्षी गठबंधन ने जीत का परचम लहराया था हालाँकि विपक्षियों को डर था कि सत्ता पर काबिज रहे के लिए अब्दुल्ला यामीन चुनावों में धांधली करेंगे।
इब्राहिम सोलिह नवंबर में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी ने चुनाव परिणाम को चुनौती देते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। राष्ट्रपति यामीन ने चुनाव आयोग को भी नतीजों का ऐलान करने के लिए इंतज़ार करने को कहा था।
मालदीव और अमेरिका के दशकों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध हैं लेकिन कूटनीतिक समझौतों में दरार आयी है। अमेरिका का मालदीव में दूतावास नहीं है इसी तरह मालदीव का भी अमेरिका में दूतावास मौजूद नहीं है। श्रीलंका में मौजूद अमेरिकी दूतावास मालदीव की कमान भी संभालता है।