आधिकारिक सूचना के मुताबिक मालदीव में चुनाव आयोग के चार सदस्यों पर देश छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने अब्दुल्ला यामीन की चुनाव में धांधली वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया था। जिसके कारण यामीन सरकार चुनाव आयोग पर दबाव बना रही है।
मालदीव में राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत फ़रवरी माह से हुई थी जब राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था। आलोचकों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। हालांकि मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन सरकार की हार के बाद देश से निर्वासित नेताओं की वापसी की उम्मीद बढ़ गयी है।
अब्दुल्ला यामीन की चुनाव में हार के बाद विपक्षी नेता राष्ट्रपति से 17 नवंबर तक सत्ता का आसानी से हस्तांतरण की कोशिश कर रहे हैं।
मालदीव अधिकारियों ने बताया कि चुनाव आयोग के चार सदस्य भाग गए और तीन श्रीलंका में निर्वासित है अब चुनाव आयोग में मात्र एक सदस्य बचा है। भागे हुए एक चुनाव अधिकारी ने बताया कि वे जान से मारने की धमकी की वजह से देश छोड़ना प़ड़ा ।
अब्दुल्ला यामीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव अधिकारी मतदान में हुई धांधली की जारी वीडियो के कारण देश से भागे हैं। सत्ता शासित प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव के प्रवक्ता ने बताया कि चुनाव में धांधली की वीडियो लीक हुई जिससे जनता में आक्रोश था इस डर के कारण चुनाव अधिकारियों ने देश छोड़ा है।
अब्दुल्ला यामीन की सरकार पर अधिकारियों को रिश्वत देकर चुनाव परिणाम को बदलने के लिए गलत बयान देने को कहा था। अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह अदालत के फैसले से ध्यान भटकाने की साजिश है। मालदीव की मीडिया के मुताबिक अब्दुल्ला यामीन को विपक्षी गठबंधन के उमीदवार इब्राहिम सोलह ने 16.8 फीसदी मतों से मात दी थी।
चुनाव आयोग ने चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र बताया था। हालांकि अब्दुल्ला यामीन के वकील ने अदालत में याचिका दायर कर कहा कि उनके समर्थकों ने चुनाव में हेराफेरी की शिकायते की हैं।
क्षेत्रीय प्रभाविक्ता को बढ़ाने के लिहाज़ से मालदीव भारत और चीन दोनों के लिए महत्वपूर्ण देश है। अब्दुल्ला यामीन की सरकार चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में सहयोगी भी है।