मालदीव की राष्ट्रपति की कुर्सी को अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगे इब्राहिम सोलिह ने बीआरआई परियोजना को रोकने का बयान देकर चीन को झटका दिया है। चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मकसद ही प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर हिन्द महासागर पर अपना आधिपत्य जमाना है।
हाल ही मलेशिया के राष्ट्रपति बने उम्रदराज़ महातिर मोहम्मद ने बीआरआई प्रोजेक्ट को रोक दिया था। मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह भी मलेशिया के पीएम की राह पर चल सकते हैं। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की चीन से घनिष्ठता के चलते मालदीव पर चीनी कर्ज का भार बढ़ा है।
सूत्रों के अनुसार सत्ता से बेदखल अब्दुल्ला यामीन ने चुनाव के समय बीजिंग से 1.5 मिलियन डॉलर का फंड लिया था। इब्राहिम सोलिह के लिए चीन का भारी कर्ज चुकता कर बीआरआई को रोकना एक चुनौती होगी। मालदीव पर पूर्व राष्ट्रपति की नीतियों की बदौलत 1.4 बिलियन डॉलर का कर्ज है जो मालदीव के सकल घरेलू उत्पाद का एक-तिहाई है।
मालदीव पर 75 फीसदी कर्ज बीआरआई प्रोजेक्ट के कारण है। इब्राहिम सोलिह ने प्रचार के दौरान चीनी कर्ज से होने वाली चुनौतियों को उजागर किया था। इब्राहिम सोलिह के समर्थक और मालदीव से निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में हुए समझौतों का खुलासा किया था।
मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है लेकिन बीआरआई के कर्ज के कारण उस पर्यटन पर संकट मंडरा रहा है। साल 2014 में चीन ने मालदीव में बीआरआई प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू किया था। जो राजधानी माले को एक नजदीकी द्वीप से जोड़ती।
राजधानी माले में एक हवाईअड्डे के निर्माण का कार्य एक चीनी कंपनी को सौंपा गया था। साथ ही मालदीव ने पर्यटन के ढांचे के विकास के लिए एक द्वीप चीन को 4 मिलियन डॉलर पर 50 साल के लिए किराये पर दिया था। चीन और मालदीव ने साल 2017 में मुक्त व्यापार समझौते पर दस्तखत किये थे।
मालदीव के चुनाव परिणाम के सदमे के बाद चीन ने हिन्द महासागर में संतुलन बनाये रखने के लिए भारत की ओर रुख किया है।