Thu. Dec 19th, 2024
    onion

    मध्य प्रदेश में किसानों कि समस्याओं के इर्द गिर्द घूम रहा चुनावी कोलाहल चुनाव समाप्त होते ही फिर से शांत हो गया। किसान फसलों की गिरती कीमतों से परेशान है। एक तो पैदावार काफी ज्यादा हुई और ऊपर से फसल की कीमतें लगातार नीचे जा रही हैं।

    प्याज और लहसुन की केटी करने वाले किसानो के लिए ये समस्या और भी ज्यादा विकट है। मालवा क्षेत्र के मंडियों में प्यास और लहसुन की कीमतें एक बार फिर गोता लगा रही हैं।

    नीमच, जो मालवा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण कृषि मंडी है, वहां प्याज रविवार को 50 पैसे प्रति किलो की दर से बिक रहे थे। प्याज के अलावा लहसुन 2 रुपया प्रति किलो की दर से बिक रहा था।

    कीमतें नीचे जाने का मुख्य कारण पैदावार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी है। जिस हिसाब में मंडियों में फसल पहुँच रहे हैं उस हिसाब से बिकवाली नहीं हो रही जिसके कारण कीमतें लगातार नीचे जा रही है।

    किसानों की ये हालत ये जानने के लिए काफी गई कि वो पिछले कुछ महीनो से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन क्यों कर रहे है ? इन्ही सब कारणों से किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की मांग कर रहे हैं।

    लागत मूल्य वसूल नहीं हो पाने के कारण किसान अपने फसलों को मंडियों में यूँ ही छोड़ कर आ रहे हैं या फिर पशुओं को खिलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

    अत्यधिक पैदावार के कारण नीमच मंडी में प्रतिदिन 10,000 प्यार और लहसुन की बोरियां पहुँच रही है। सोमवार को शहर में जबरदस्त ट्रैफिक जान देखने को मिला जब किसान ट्रैक्टर और ट्रौली पर लहसून और पप्याज लादे शहर पहुँच गए।

    कोई विकल्प ना होने पर किसान अपने फसलों को यूँ ही छोड़ कर चले गए क्योंकि वो उन्हें खर्च लगाकर वापस ले जाने और उसका प्रबंधन करने में असमर्थ थे।

    ऐसी स्थिति में भी ब्बाजार में प्याज 15 से 20 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है जानकी लहसुन 30 से 40 रुपये प्रति किलो की दर से।

    2016 में भी किसानों को ऐसी ही स्थिति से गुजरना पड़ा था जब मंडी में प्याज की कीमत 30 पैसे प्रति किलो तक पहुँच गई थी।

    कुछ साल पहले मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसी स्थिति में किसानों से सीधे 8 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज खरीदना शुरू कर दिया था।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *