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    भारत और सऊदी अरब

    सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान दो दिवसीय भारत यात्रा पर थे और जाने से पूर्व उन्होंने संयुक्त बयान में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान, सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर जोर दिया था। उसका इशारा चीनी राष्ट्रों को जोड़ने वाली परियोजना की तरफ था।

    इस बयान को बुधवार को जारी किया गया, जब मोहम्मद बिन सलमान बीजिंग की यात्रा के लिए निकल चुके थे। वह तीन राष्ट्रों की यात्रा में पाकिस्तान, भारत और चीन गए। चीन की महत्वकांक्षी परियोजना का भाग चीन-पाक आर्थिक गलियारा भारत के चिंता का सबब है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है।

    चीन की यह विस्तारवादी परियोजना भारत के क्षेत्रीय हितों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। बयान के मुताबिक दोनो राष्ट्र इस क्षेत्रीय परियोजना में अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित होने की बात को स्वीकार कर चुके हैं। साथ ही भारत और सऊदी अरब ने सम्प्रभुता और राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने पर भी सहमति जताई है।

    नयी दिल्ली और रियाद के बीच रक्षा साझेदारी सबसे महत्वपूर्ण था। भारत और सऊदी अरब ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग से हुए हालिया विकास का स्वागत किया है। उन्होंने 2-3 जनवरी को रियाद में आयोजित फोर्थ जॉइंट कमिटी ऑन डिफेन्स सेक्टर के परिणाम का स्वागत किया है।

    द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार के लिए दोनों राष्ट्रों ने संयुक्त नौसैन्य अभ्यास की शुरुआत करने पर रज़ामंदी जाहिर की है। दोनों देशों ने नैवल और लैंड सिस्टम के स्पेयर पार्ट के संयुक्त उत्पादन और मिलाकर काम करने पर सहमति जताई है। साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और ‘विज़न 2030’ कार्यक्रमों में भी सहयोग करेंगे।

    सऊदी अरब की निगाहें हिन्द महासागर में भारत की भूमिका पर है, जहाँ नई दिल्ली पारम्परिक रूप से ताकतवर है। दोनों राष्ट्रों ने हिन्द महासागर से जुड़े अन्य देशों के साथ कार्य करने की योजना पर रज़ामंदी जाहिर की है ताकि समुद्र की सुरक्षा में विस्तार हो सके।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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