वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बजट 2018 में कृषि क्षेत्र को अधिक विकसित करने पर जोर दिया है। भारत के आर्थिक विकास में कृषि का योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण होगा। भारतीय खाद्य उद्योग के लिए केंद्र सरकार ने ऐसी योजनाओं का खुलासा किया है जिससे अगले दस सालों में विकास दोगुना हो जाएगा।
भारत हर साल विश्व खाद्य व्यापार में अपना योगदान बढ़ा रहा है। भारत पिछले दो दशकों से दूध का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक है। साथ ही दुनिया के कुल दूध उत्पादन का 19 प्रतिशत योगदान करता है। कॉफी के निर्यात केंद्र के रूप में भी भारत उभर रहा है।
पिछले पांच सालों में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों ने भारत के सकल मूल्य में 17.3 प्रतिशत योगदान दिया है। जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है उसके बाद से ही देश में अनाज उत्पादन में शानदार वृद्धि देखी गई है। साल 2017 में कृषि मंत्रालय से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत ने 278.38 मिलियन टन अनाज का उत्पादन किया।
आंकडो के मुताबिक चावल की पैदावार 2.39 टन/हेक्टेयर तक पहुंच गई है जबकि गेहूं की पैदावार 2.4 टन/हेक्टेयर तक पहुंची है जो कि विकासशील अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक है। भारत के कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन में मानसून ने भी काफी योगदान दिया। अच्छे मानसून की बदौलत भारत के अनाज उत्पादन 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले साल चावल, दाल या गेहूं जैसे अनेक अनाजों में भरपूर वृद्धि देखी गई थी।
मोदी सरकार पर किसानों ने जताया विश्वास
केन्द्र सरकार ने भी फसलों के अधिक उत्पादन के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में वित्तीय सहायता भी दी जिससे किसानों के आत्मविश्वास को उच्च स्तर तक बढ़ावा मिला। मोदी सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर भी किसानों ने ज्यादा विश्वास दिलाया। किसानों को मोदी सरकार की इस योजना ने सुनिश्चित किया कि रकार की नीतियों के कारण किसानों को कोई नुकसान न हो।
देश की कुल 64.5 लाख हेक्टेयर जमीन मे से केंद्र सरकार की एजेंसियों ने 19 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि का बीमा किया है। रबी फसलों के लिए शुद्ध बीमा राशि लगभग 671.96 करोड़ रूपये की गई है।
गौरतलब है कि भारत की 59 प्रतिशत आबादी आज भी आजीविका के उनके मुख्य साधनों के लिए कृषि और उसके संबद्ध क्षेत्रों पर निर्भर करती है। जहां देश की कुल जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है तो वहीं इसमे कृषि की जीडीपी दर भी 4.1 फीसदी तक पहुंच सकती है।
मसालों, चावल व ऑनलाइन भोजन उद्योग में भारत की तीव्र प्रगति
बासमती चावल के क्षेत्र में भारत का निर्यात 22,000-22,500 करोड़ रुपये तक हो सकता है, जिसमें 2017-18 में लगभग मात्रा 4.09 लाख टन है। अच्छे मानसून की बदौलत भारत से मूंगफली का निर्यात 7,00,000 टन से अधिक होने की संभावना मानी जा रही है। मसालों व उससे संबंधित उत्पादों की माने तो भारत इस क्षेत्र में सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक बन सकता है।
भारतीय ऑनलाइन भोजन वितरण उद्योग में भी हर साल करीब 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा रही है। मोदी सरकार के नेतृत्व में ग्रामीण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए बजट का आवंटन पिछले बजट से करीब 24 प्रतिशत बढ़ाकर 1.87 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इससे साबित होता है कि आने वाले समय में भारत कृषि क्षेत्र में आर्थिक विकास को अधिक विकसित कर सकता है।