भारत और बांग्लादेश सम्बन्ध बांग्लादेश की आजादी से ही स्थापित हैं, जब भारत बांग्लादेश को दिसंबर 1971 में मिली आज़ादी के बाद अलग और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश बना था।
दोनों देश आपस में गहरे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध साझा करते है। साझा इतिहास, विरासत, भाषाएँ, संगीत और कला के लिए जूनून दोनों देशों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं। पिछले चार दशकों के दौरान दोनों देशों ने एक मज़बूत संस्थागत ढांचे का निर्माण किया है जिससे की आपसी रिश्तों को हर क्षेत्र में फ़ैलाया जा सके।
इस लेख के ज़रिये हम भारत-बांग्लादेश सम्बन्धों को विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
बांग्लादेश की स्वतंत्रता लड़ाई:
1947 में मिली स्वंतंत्रता ने भारत को हिंदुस्तान और पाकिस्तान में विभाजित कर दिया। साथ ही पाकिस्तान, पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में बँट गया। किंतु केंद्रीय सत्ता का पश्चिमी पाकिस्तान में होना पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को खलता रहा और उनका मानना था कि उनका सिर्फ़ आर्थिक शोषण हो रहा था। उनकी अनेक समस्याओं के भी हल नहीं निकल रहे थे।
1971 में पूर्वी पाकिस्तान की राजनैतिक पार्टी आवामी लीग की चुनावी जीत को पश्चिमी पाकिस्तान में बैठी सत्ता ने नज़रंदाज़ कर दिया जिसने गहरे राजनैतिक असंतोष और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को जन्म दिया। 25 मार्च 1971 की रात पश्चिमी पाकिस्तान के सैनिक जुंटा ने पूर्वी पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट की शुरुआत की। इसमें राष्ट्रवादी नागरिकों, अल्पसंख्यकों एवं छात्रों को निशाना बनाया गया।
सेना ने कट्टरपंथी धार्मिक उग्रवादियों के साथ मिलकर आम जनता के खिलाफ अत्याचार शुरू कर दिया जिसमे की गई सामूहिक हत्याएं और निर्वासन जैसे कृत्यों से लोगों का पलायन शुरू हो गया। आम जनता के इन हालातों का दुनियाभर में विरोध हुआ। भारत में लाखों की संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी बचकर आने लगे।
हालात से निपटने के लिए भारत की इंदिरा गाँधी सरकार ने बांग्लादेश के राष्ट्रवादियों (मुक्ति बहिनी) को बड़ी मात्रा में सहयता पहुँचानी शुरू कर दी। 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के उत्तरी भारत में हमले के बाद भारत ने भी जंग का एलान कर दिया। आख़िरकार 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने बांग्लादेश के डक्का(आज के ढाका) में आत्मसमर्पण कर दिया। आज 16 दिसंबर बांग्लादेश में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिये हुए आंदोलन और उसे भारत के द्वारा दिये गए समर्थन ने दोनों देशों को आपस में एक मज़बूत साझेदार बनाया। हालांकि शीत युद्ध के दौर की राजनीती और इस्लामिक देशों के बीच अपनी पहचान बनाने की बांग्लादेश की जल्दी ने आपसी रिश्तों में कुछ खटास पैदा की।
1990 के दशक में दक्षिण एशिया में आई आर्थिक उदारीकरण की तेज़ी ने द्विपक्षीय व्यापर और साझेदारी को नई उर्जा दी।
उच्च स्तरीय मुलाकातें:
बांग्लादेश के राष्ट्रपति एरशाद ने 1982 में भारत का दौरा किया। शेख हसीना ने 2010 में प्रधानमंत्री के रूप में भारत की यात्रा की। 2014 में संयुक्त राष्ट्र की बैठक के दौरान भी मौजूदा भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शेख हसीना से मुलाकात की।
दिसंबर 2014 में मोहम्मद अब्दुल हामिद ने राष्ट्रपति के तौर पर भारत का दौरा किया। यह किसी बंगाल्देशी राष्ट्राध्यक्ष की 42 साल बाद भारत यात्रा थी।
2015 की प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश यात्रा में वर्षों से चले आ रहे भारत-बांग्लादेश सरहद के विवाद को सुलझा लिया गया।
व्यापार, बिजली, स्वस्थ्य और रक्षा से जुड़े मुद्दे:
भारत-बांग्लादेश के बीच इस वक्त 6.6 बिलियन डॉलर का व्यापार है। अनुमान है कि आपसी व्यापार, मौजूदा आंकड़ों के 4 गुना तक होने की क्षमता रखता है।
बांग्लादेश के मंत्रिमंडल ने संशोधित व्यापर समझौते को भी मंज़ूर किया है जिसके तहत भारत-बांग्लादेश एक दूसरे के बंदरगाहों का इस्तेमाल किसी तीसरे देश तक अपने उत्पाद पहुँचाने के लिए कर सकते हैं। इस समझौते के तहत भारत अपना सामान बांग्लादेश के रास्ते म्यांमार तक पहुंचा सकेगा और दोनों में से किसी देश को आपत्ति न हो तो इस समझौता का ख़ुद से 5 सालों के लिए नवीनीकरण हो जायेगा।
जून 2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन समझौतों के तहत भारत ने बांग्लादेश को 2 बिलियन डॉलर का ऋण दिया और 5 बिलियन डॉलर के निवेश का वचन दिया। समझौते के अनुसार, भारत की रिलायंस पावर ने 3,000 मेगावाट के एलएनजी आधारित बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए 3 बिलियन डॉलर के निवेश पर अपनी सहमति व्यक्त की।
भारत और बांग्लादेश आपस में 54 नदियों को साझा करते हैं। 1972 से ही एक द्विपक्षीय संयुक्त आयोग नदियों से होने वाले लाभ को अधिक से अधिक करने की कोशिश करता रहा है ताकि इसका फायेदा आमजन तक पहुँच सके। गंगा के पानी के ऊपर 1996 में संधि पर हस्ताक्षर किये गए और जनवरी से मई तक पानी के सही बंटवारे पर आपसी सहमती हुई।
बिजली के क्षेत्र में भारत-बांग्लादेश के बीच साल 2010 में एमओयू हुआ। इस वक्त 600 मेगावाट बिजली को भारत से बांग्लादेश भेजा जाता है। 1320 मेगावाट के कोल संचालित बिजली संयंत्र का भारत के एनटीपीसी और बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड आपसी सहयोग से बांग्लादेश के रामपाल में निर्माण कर रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में उर्जा क्षेत्र ने भी काफ़ी विकास देखा है। भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयां, जैसे इंडियन आयल कारपोरेशन, नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड, गैस अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ वहां के तेल और गैस के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
इसके अलावा, भारत और बांग्लादेश ने स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए, जिससे स्वास्थ्य में संयुक्त अनुसंधान होंगे और डॉक्टरों के साथ अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के भी आदान-प्रदान होंगे।
रक्षा क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश को रक्षा संबंधी मंच के विनिर्माण और सेवा केन्द्रों को स्थापित करने में मदद कर रहा है और बांग्लादेश की सेना को ट्रेनिंग और तकनीकी एवं लोजिस्टिक्स में सहायता कर रहा है।
भारत ने 2017 में पहली बार किसी पड़ोसी देश को सैन्य क्रेडिट लाइन उपलब्ध कराई। 500 मिलियन डॉलर की इस क्रेडिट लाइन के तहत बांग्लादेश भारत से रक्षा उत्पादों की खरीद कर सकता है।
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