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    कश्मीर

    ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी की संसद के सदस्यों ने सर्वसम्मति से कश्मीर पर एक विवादित प्रस्ताव को पारित कर दिया है। यह बुधवार को ब्रिघ्टन में आयोजित एक पार्टी कांफ्रेंस के दौरान पारित किया गया था। यह इमरजेंसी प्रस्ताव में पार्टी के मुखिया जेरेमी कोर्बिन से राज्य में अंतररष्ट्रीय दखलंदाज़ी की मांग की है और जम्मू कश्मीर की जनता के लिए स्वतंत्रता के मूल अधिकारों की मांग की है।

    कश्मीर पर ब्रिटेन में प्रस्ताव पारित

    प्रस्ताव के मुताबिक, सम्मेलन ने लेबर पार्टी से जेरेमी कोर्बिन से सुनिश्चित करने की कहा कि कोई यूएनएचआरसी में पार्टी का प[प्रतिनिधित्व करे ताकि कश्मीर में मानव अधिकारों को बहाल किया जा सके। अभिव्यक्ति की आजादी, कर्फ्यू को हटाना और मानवीय सहायता संगठन और अंतररष्ट्रीय निरीक्षको को इस क्षेत्र में आने की अनुमति दी जाए।

    इस प्रस्ताव को लेटन और वान्स्टाद और नाटिंघम ईस्ट संसदीय क्षेत्र ने रखा था और बुधवार को पारित कर दिया गया था। इस प्रस्ताव में कोर्बिन से भारत और पाकिस्तान के उच्चायुक्तो से मध्यस्थता को सुनिश्चित करने के लिए मुलाकात करने के लिए भी कहा गया है।

    इस विवादित प्रस्ताव पर लेबर के इंडिया कम्युनिटी इंगेजमेंट फोरम ने कहा कि ब्रिटेन की पार्टी को जिहादी सहानुभूतियो और चरमपंथियों के गठबंधन ने हाईजैक कर लिया है।” बुधवार को भारत ने ब्रिटेन के प्रस्ताव की आलोचना की और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसे वोट बैंक हथियाने की एक कोशिश करार दिया है।

    लेटन से ब्रितानी पाकिस्तानी उज़मा रसूल ने पीओके के सन्दर्भ में कहा कि “कश्मीर 72 वर्षो से मानव अधिकार उल्लंघन, सामूहिक बलात्कार और सैनिको देअद्वारा दुष्कर्म और पेलेट बन्दूको से जख्मी होने की मार झेल रहा है। हमें तत्काल भारत से पंहुच को खोलने का आग्रह करना चाहिए ताकि मानवीय बिव्हाग वहां जाकर मदद मुहैया कर सके। यह अब एक बड़ा संकट है। हमें कहा था कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मामला है लेकिन कश्मीरी जनता को दखलंदाज़ी की जरुरत है।”

    इस प्रस्ताव पर बहस के बाद लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त ने मंगलवार को भारत के लेबर दोस्तों के साथ वार्षिक रिसेप्शन को भी रद्द कर दिया है। एक आला अधिकारी ने बताया कि “हम इसे रद्द करते हैं। इसका कारण प्रस्ताव को पारित करना है।”

    रवीश कुमार ने कहा कि “हम इस गैर सूचित और निराधार स्थितियों पर निराशा व्यक्त करते हैं। साफ़ तौर पर यह वोट बैंक को भरने का एक तरीका है। लेबर पार्टी या उनके प्रतिनिधियों से इस मामले पर जुड़ने का कोई सवाल ही नहीं बनता है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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