भारतीय रेलवे पहली बार विश्व स्तरीय ट्रेनों के निर्यात की योजना बना रहा है। भारतीय रेलवे विभाग एक निर्यात नीति पर कार्य कर रहा है जिसके तहत भारत को अन्य देशों से ट्रेन के उपकरण के निर्माण करने के आर्डर लिए जा सकते हैं। इस योजना से सभी देशों में इससे संबंधित फक्ट्रियां यात्रा का प्रचार करेंगी और तब सभी देश मेक इन इंडिया ट्रेन के रैक का अधिकतर आर्डर दे सकते हैं।
श्रीलंका ने साल 2010-2012 में ट्रेन के कोच के निर्यात का आर्डर दिया था, लेकिन निर्यात योजना की खामी के कारण निर्यात आर्डर के कार्य को पूरा नहीं कर सके। इस योजना के तहत राष्ट्रीय निर्यातकों की नज़र दक्षिणी पूर्वी एशिया, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका पर है।
रेलवे विभाग के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा कि आरआईटीईएस के जरिये भारतीय रेलवे निर्यात के लिए आर्डर लेगा। आरआईटीईएस एक राज्य द्वारा अधिकृत कंपनी है जो ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मशहूर है। उन्होंने कहा कि नई योजना के मुताबिक राष्ट्रीय कंपनिया अन्य देशों से आर्डर ले सकती हैं।
रोलिंग स्टॉक के सदस्य राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारतीय रेलवे के पास मेक इन इंडिया कोच के निर्माण की अच्छी छमता है और राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर अन्तराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरेंगे। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में कोच की कीमत 20 से 25 प्रतिशत तक कम होगी। उन्होंने कहा कि अगर एक निर्यात योजन को अमल में लाया जाता है, तो भारतीय रेलवे आर्डर लेने में सक्षम होगा और रेलवे अधिकारियों को हर निर्णय को पास नहीं करना होगा।
भारतीय रेलवे ने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई से पहली डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीप्ल यूनिट्स को श्रीलंका निर्यात किया था। इस फैक्ट्री ने कई अन्य देशों मसलन ताइवान, मलेशिया, वियतनाम, बांग्लादेश और अफ्रीका के कई अन्य देशों को रेल कोच के उपकरण मुहैया किये हैं।