भारत और चीन के सम्बन्ध वापस सामान्य पटरी पर पंहुच रहे हैं और कई सकारात्मक विकास भी हुए हैं, मसलन चीन का अपने बाज़ार में भारतीय उत्पादों को जगह देना, अलबत्ता व्यापार घाटे को भरने के लिए अभी काफी कुछ करना बाकी है। भारत और चीन के सम्बन्ध के तल्खी डोकलाम में 73 दिनों के संघर्ष के बाद आई थी।
भारत-चीन के रिश्ते वापस सामान्य
सूत्रों के मुताबिक दोनों राष्ट्रों की राजनीतिक रिश्तों में अभी भी गतिरोध है, लेकिन बीते साल के मुकाबले हालात सुधरे हैं। भारत, चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को लेकर भी गंभीर चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है किचिन भारतीय उत्पादों को उनके बाज़ार में प्रवेश के लिए बातचीत करेगा।
इस वर्ष का सकारात्मक उन्नति यही है कि चीन के साथ भारत के समबन्ध दोबारा सामान्य पटरी पर आ गए हैं। इंडो पैसिफिक भारत के हितों से जुड़ा हुआ है, नई दिल्ली इस मसले पर बीजिंग के साथ बातचीत करना चाहती है और दोनों राष्ट्रों के मध्य द्विपक्षीय वार्ता के दौरान नियमित तौर पर इस मसले को उठाया जाता है। इंडो-पैसिफिक से सम्बंधित मसलों पर भारत और अमेरिका के बीच सर्वसम्मति की कोई जानकारी नहीं है। भारत चाहता है कि सभी ताकतवर देश इस मसले पर बातचीत करें।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच इस वर्ष तीन बार मुलाकात हुई थी और साथ ही इसी साल अनौपचारिक मुलाकात भी हुई थी। जिसे सभी बेमिसाल मानते हैं क्योंकि इसी मुलाकात के बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम गतिरोध का अंत हुआ था।
सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के प्रमुखों के मध्य दूसरी अनौपचारिक बैठक आगामी वर्ष के मध्य में होगी। उभरती ताकतों के साथ भारत के संबंधों पर सूत्र ने कहा कि “भारत की अमेरिका के साथ सम्बन्ध सकारात्मक दिशा में है और भारत ने रूस का विश्वास भी जीता है।”
सीपीईसी परियोजना से भारत का डर
सूत्र ने दोहराया कि चीन-पाक आर्थिक गलियारा सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती है। भारत इस परियोजना का लगातार विरोध करता रहा है, क्योंकि यह परियोजना पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगी। चीन का दावा है कि यह परियोजना क्षेत्र के आर्थिक फायदे के लिए है, भारत को महसूस होता है कि यह क्षेत्रीय स्थिरता को बिगाड़ देगी।
भारत के इस परियोजना में प्रवेश के बाबत सूत्र ने कहा कि “नई दिल्ली की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा,अगर वह इन चिंताओं पर बातचीत करते हैं तो हमारी प्रतिक्रिया का होगी, यह मुझे नहीं मालूम है।” भारत और चीन के बीच व्यापार में 18.63 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो ऐतिहासिक स्तर में सबसे अधिक है।