रविवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने चाबहार बंदरगाह का आधिकारिक पहले चरण का उद्घाटन किया है। आम तौर पर देखा जाए तो चाबहार बंदरगाह से भारत, ईरान व अफगानिस्तान जैसे देश मुख्य रूप से जुड़े हुए है। लेकिन हकीकत में इसका उपयोग काफी ज्यादा है।
चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत अपने दुश्मन देश चीन व पाकिस्तान को घेरने की कोशिश में लगा हुआ है। इसे भारत की रणनीतिक योजना कहा जा सकता है। चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से महज 80 किलोमीटर दूर है।
गौरतलब है कि चीन सीपीईसी प्रोजेक्ट के जरिए अपने शिंजियांग प्रांत से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़ना चाहता है। इसी के खिलाफ भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह को निर्मित करने में सहयोग दिया है।
पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को टक्कर देने के लिए चाबहार बंदरगाह अगले साल तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। जहां से भारत का अन्य देशों के साथ व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। एक तरफ चीन समुद्री रास्तों के जरिए व्यापार को बढ़ावा दे रहा है उसके खिलाफ भारत भी चीन के समुद्री व्यापार पर नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है।
चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट को मिलेगी कड़ी टक्कर
भारत के लिए चाबहार बंदरगाह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारत के लिए मध्य एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। खासकर अफगानिस्तान और रूस से भारत का जुड़ाव और बेहतर हो जाएगा।
भारत की पकड़ मध्य एशिया बाजार में मजबूत हो जाएगी। आर्थिक मोर्चे पर रूस, ईरान और अफगानिस्तान जैसे महत्वपूर्ण देशों से जुड़कर भारत के कूटनीतिक रिश्तों को भी मजबूती मिलेगी।
चीन की अगुवाई वाली चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के परिणामस्वरूप चीन की सत्ता में वृद्धि हो रही है और चीन एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों के साथ अधिक व्यापार संबंधों को लुभाने पर जोर दे रहा है। वहीं चाबहार से भारत को भी व्यापार में मजबूती मिलेगी। इससे अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर को भी गति मिलेगी।
भारत सरकार दे रहा आर्थिक मदद
दरअसल भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार ने चाबहार बंदरगाह में करीब 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने का निर्णय लिया है। इससे सड़कों और रेल लाइनों के साथ-साथ व्यापारिक और परिवहन मार्ग खोलकर अफगानिस्तान के साथ-साथ मध्य एशिया के संसाधन संपन्न देशों के साथ व्यापार को बढ़ाया जाएगा।
चाबहार बंदरगाह अगले साल तक पूरी तरह से शुरू हो जाएगा। भारत तेहरान को 400 मिलियन स्टील रेल की आपूर्ति करेगा। साथ ही ईरान सरकार के साथ एक संयुक्त उद्यम के जरिए उर्वरक संयंत्र की योजनाएं हैं।