बॉलीवुड में कई बार ऐसी फ़िल्में बन जाती हैं जिनके टाइटल की फ़िल्में पहले भी निर्देशक बना चुके हैं। ऐसे में एक फिल्म देखते समय हमें बरबस ही दूसरी फिल्म की याद आ जाती है। कई बार तो हमें पता भी नहीं होता है कि इसी टाइटल की कोई और भी फिल्म बन चुकी है।
तो आइये बात करते हैं कुछ ऐसी फिल्मों की जिनके नाम की फ़िल्में पहले भी बनाई जा चुकी हैं।
जूनून- श्याम बेनेगल और महेश भट्ट ने एक ही नाम की फ़िल्में बनाई थी। बेनेगल की क्लासिक फिल्म प्यार, जूनून, धोखे और युद्ध की कहानी थी वहीँ भट्ट की एक भूतिया फिल्म थी जो रूप बदलने वाले इफ़ेक्ट के लिए जानी जाती है।
उमराव जान-
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क्या आप जानते हैं कि जेपी दत्ता ने मिर्ज़ा हदी रुशवा की हिंदी नॉवेल ‘उमराव जान अदा’ से प्रभावित दो फ़िल्में बनाई थीं? पहली फिल्म उन्होंने 1981 में और दूसरी 2006 में। पहली फिल्म में मुख्य भूमिका में रेखा थीं और दूसरी में ऐश्वर्या राय।
दिलचस्प बात यह है कि 2006 की उमराव जान में शबाना आज़मी ने खानुम जान की भूमिका निभाई थी और पुरानी फिल्म में यही भूमिका शबाना की माँ शौकत आज़मी ने की थी।
अनुराधा- ‘अनुराधा’ नाम की फिल्म बॉलीवुड में 4 बार बनाई जा चुकी है। पहली फिल्म मोहन सिन्हा ने बनाई थी जो हिंदी में थी और 1940 में रिलीज़ हुई थी। इसके बाद 1949 में प्रणब रॉय ने इसी नाम की एक बंगाली फिल्म बनाई थी।
हृषिकेश मुखर्जी ने ऐसी ही एक हिंदी फिल्म 1960 में बनाई थी और उसके बाद ‘अनुराधा’ मराठी भाषा में बनी जो 1992 में रिलीज़ हुई थी और इसके निर्देशक थे कुमार सोहनी।
अनाड़ी-
हृषिकेश मुखर्जी, असित सेन और के मुरलिमोहनम राव ने क्रमशः 1959, 1975 और 1993 में एक ही नाम की फ़िल्में बनाई हैं। मज़ेदार बात यह है कि तीनों फिल्मों में ‘वो चाँद खिला’, ‘हम तो एक अनाड़ी’ और ‘क्या मौसम आया है’ जैसे प्रसिद्द गाने रखे गए थे।
अनपढ़-1962 में फिल्म निर्माता मोहन कुमार ने ‘अनपढ़’ बनाई थी जिसका आइकोनिक गीत ‘आपकी नज़रों ने समझा’ आजतक सुपरहिट है। इसी नाम की एक और फिल्म एस एम सागर ने 1978 में बनाई थी।
जग्गू-
निर्माता जगदीश शेट्टी ने 1952 में एक फिल्म बनाई थी ‘जग्गू’ और इसी नाम की फिल्म समीर गांगुली ने बनाई थी जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा मुख्य भूमिका में थे। यह 1975 में रिलीज़ हुई थी।
मदर इंडिया-
क्या आप जानते हैं कि 1957 में बनी मेहबूब खान की क्लासिक फिल्म ‘मदर इंडिया’ से पहले निर्देशक दादा गुंजल ने भी इसी नाम की फिल्म बनाई थी जो 1938 में रिलीज़ हुई थी।
काबुलीवाला-
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टैगोर की ‘काबुलीवाला’ पर आधारित इसी नाम की दो फ़िल्में बनी हैं पहली तपन सिन्हा द्वारा निर्देशित जिसमें छबि विश्वास मुख्य भूमिका में थे और दूसरी का निर्देशन हेमंत गुप्ता ने किया था जिसमें बलराज शाहनी मुख्य भूमिका में थे। दोनों फ़िल्में क्रमशः 1956 और 1961 में रिलीज़ हुई थीं।
कुछ समय पहले रिलीज़ हुई फिल्म ‘बॉयोस्कोपवाला’ भी इसी कहानी पर आधारित थी जिसमें डैनी ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
हिंदुस्तान की कसम-
चेतन आनंद की फिल्म ‘हिन्दुस्तान की कसम’ भारत-पाक युद्ध 1971 के दौरान ऑपरेशन कैक्टस-लिल्ली पर आधारित थी और बाद में इसी नाम की एक फिल्म वीरू देवगन ने बनाई थी। यह मेलोड्रामा भी भारत-पाक युद्ध की पृष्ट्भूमि रखती थी।
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