देश को बुलेट ट्रेन का सपना दिखाया गया है, जिसे पूरा करने के लिए पिछले वर्ष कार्य योजना पर काम शुरू भी कर दिया गया है, लेकिन इस पर चल रहे काम की रफ्तार बता रही है अभी देश की जनता को इसकी सवारी करने के लिए सालों इंतज़ार करना पड़ सकता है।
इस प्रोजेक्ट को शुरू हुए करीब एक साल हो गया है, लेकिन अभी शुरुआती स्तर का काम भी वांछित गति नहीं पकड़ पाया है। इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 1400 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है, लेकिन एक साल की अवधि तक सिर्फ 0.9 हेक्टेयर जमीन ही कब्जे में ली जा सकी है।
मालूम हो कि यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के दिल के करीब है। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में अक्सर इस परियोजना का जिक्र करते हैं, लेकिन इस परियोजना की रफ्तार देखते हुए लग रहा है कि अगली पंचवर्षीय भी इसी परियोजना को पूरा करने में खप जाएगी।
जमीन अधिग्रहण संबन्धित कार्य की कुल कीमत 15 अरब डॉलर के आसपास है। इसके तहत 316 मील लंबी बुलेट ट्रेन की लाइन बिछाई जानी है। यह ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई की ओर चलेगी।
यदि इस मामले में इसी रफ्तार से काम चलता रहा तो बुलेट ट्रेन चलाने के लिए वर्ष 2023 के लक्ष्य को पाना मुश्किल हो जाएगा।
हालाँकि विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि भारत में जमीन अधिग्रहण काफी मुश्किल काम है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट में इस तरह की दिक्कतें आना लाज़मी है। फिर भी सरकार को इन समस्याओं पर गौर करना चाहिए जिससे इस प्रोजेक्ट में अनावश्यक देरी से भी बचा जा सके।
मालूम हो कि इस प्रोजेक्ट में भारत ने जापान के साथ साझेदारी की है, जिसके चलते जापान भारत को इस प्रोजेक्ट के लिए बहुत ही कम दर पर ऋण उपलब्ध करवा रहा है।
हाल ही में जमीन अधिग्रहण के मामले में गुजरात में किसानों के एक समूह ने गुजरात हाइकोर्ट में अपील की थी। जिसके चलते वहाँ जमीन अधिग्रहण के काम को रोकना पड़ा था।