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    चीन और पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज, सैन्य विस्तार के लिए गोपनीय समझौता

    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान एक गोपनीय योजना के तहत चीनी सैन्य विमान, हथियार और अन्य उपकरणों का निर्माण कर रहा है। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना का सेना के मंसूबों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

    न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट “चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ इन पाकिस्तान टेकस अ मिलिट्री टर्न”, में कहा कि चीन जिस योजना को शांतिपूर्ण कहता है, जिसमे पाकिस्तान रक्षा सम्बन्धी परियोजनाओं में सहयोग कर रहा है, साथ ही इस गोपनीय योजना के तहत नए लडाकू विमानों का निर्माण भी किया जा रहा है।

    पाकिस्तान की रूप में चीन को एक ऐसा जवाबदेही राष्ट्र मिल गया है, जो सीमा साझा करता है, जिसके साथ ऐतिहासिक सहयोग है, क्षेत्रीय प्रतिद्वंदी भारत का विरोधी है, हथियारों को बेचने के लिए एक विशाल बाज़ार और संसाधनों का धनी है।

    रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान की करोड़ों की सैन्य सहायता को रोक दिया था, उस दौरान पाकिस्तान वायु सेना और चीनी अधिकारियों ने इस गोपनीय योजना को अंतिम रूप दे दिया था। इस गुप्त योजना की न्यूयॉर्क टाइम्स ने समीक्षा कर कहा कि यह योजना पाकिस्तान और चीन के संबंधों को अधिक मज़बूत कर देगी। पेंटागन के सहयोगी विभाग ने हाल ही में कहा था कि दशकों की असफलता के बाद अब चीन सैन्यकरण करने का प्रयास कर रहा है।

    बीआरआईके तहत सभी सैन्य परियोजनाओं के ढांचागत विकास कार्यक्रम को 70 देशों तक खींचा जायेगा, जिसकी लागत एक ट्रिलियन डॉलर है और इसका भुगतान चीन कर रहा है। रिपोर्ट में कहा कि चीनी अधिकारियों ने बीआरआई परियोजना को शांतिपूर्ण मंस्सोबे के साथ पूर्ण आर्थिक करार दिया था। पाकिस्तान में चीन इस परियोजना का इस्तेमाल स्पष्ट रूप से अपनी सैन्य मकसदों की पूर्ती के लिए कर रहा है।

    रिपोर्ट में दावा किया कि पाकिस्तान इसका उभरता उदारण है कि कैसे चीन पाकिस्तान का इस्तेमाल अपने सैन्य मंसूबों की पूर्ती के लिए कर रहा है। साल 2013 में चीन पाक आरती गलियारे की परियोजना की शुरुआत में पाकिस्तान,चीन की महकांक्षी सूची में शुमार था। इस कथित परियोजना के लिए चीन ने 62 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बनायीं थी।

    पाकिस्तान की आर्थिक जरूरतों की पूर्ती के लिए चीन ने इस्लामाबाद को जरुरत से अधिक कर्ज दिया, जिससे यह दोनों राष्ट्र निकट आ गए हैं। इतना, कि पाकिस्तान ने अरब सागर तक पंहुचने के लिए चीन को ग्वादर बंदरगाह पर समुंद्री बंदरगाह और विशेष आर्थिक इलाके के निर्माण की अनुमति दे दी थी।

    बीते कुछ वर्षों से चीन अधिकृत कंपनियों ने रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्व जगहों पर समुंद्री बंदरगाहों का निर्माण किया है, इसमें श्रीलंका, बांग्लादेश और मलेशिया शामिल है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन दक्षिणी चीनी सागर में अपने विस्तार के लिए इस बंदरगाह का इस्तेमाल करेगा। श्रीलंका चीन के विशाल कर्ज को चुकता करने में असमर्थ रहा था, इसलिए उसे अपना हबंटोटा बंदरगाह 99 वर्षों के लिए चीन के हवाले कर दिया था।

    इमरान खान ने प्रधानमन्त्री बनने के बाद सीपीईसी परियोजना की दोबारा समीक्षा करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें यह कर्ज विरासत में मिला था। नवम्बर की शुरुआत में इमरान खान ने चीन की यात्रा की थी, इस यात्रा के दौरान उन्होंने पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उभारने के लिए चीनी राष्ट्रपति की सहायता मांगी थी। हालांकि चीन से इमरान खान को आश्वासन लेकर खाली हाथ वापस लौटना पड़ा था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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