अमेरिका की पेंटागन ने कांग्रेस में कहा कि चीन अपनी महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिये खुद की वैश्विक नौसैन्य बल के तौर पर उभार रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि बीजिंग की प्रतिकूल डील दूसरे राष्ट्रों का गला घोंट रहा है जैसे एनाकोंडा अपने अगले भोजन के लिए बढ़ता है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी परियोजना के तहत चीन वभिन्न राष्ट्रों को ढांचागत प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए अरबो रूपए का कर्ज दे रहा हैं ताकि उसके वैश्विक प्रभुत्व में विस्तार हो सके। नौसैन्य अभियानों के प्रमुख जॉन रिचर्डसन ने कहा कि “चीन की परियोजना में उसकी कूटनीति, आर्थिक, मिलिट्री और उसकी राष्ट्र शक्ति के सामाजिक तत्वों का सम्मिश्रण है। वह खुद की वैश्विक निर्णायक नौसैन्य सेना के निर्माण का प्रयास कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि “चीन का कार्य करने का ढंग राष्ट्रों की वित्तीय कमजोरियों को दूर करता है। वे व्यावसायिक बंदरगाहों के निर्माण, घरेलू सुविधाओं को उन्नत करने और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश करने का वादा करते हैं।”
बीआरआई का फोकस एशियाई देशों, अफ्रीका, चीन और यूरोप में कनेक्टिविटी और सहयोग का सुधार करना है। बीआरआई के तहत चीन-पाक आर्थिक गलियारा भारत और बीजिंग के संबंधों के खटास का कारण बना हुआ है। भारत के मुताबिक यह परियोजना उनकी सम्प्रभुता का उल्लंघन है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है।
भारत ने बीते वर्ष बीआरआई की वासरहिक बैठक का बहिष्कार किया था और इस वर्ष भी इसका भारत का कोई प्रतिनिधि इसमें शरीक नहीं होगा।
रिचर्डसन ने कहा कि “कुछ समय बाद चीनी शिकंजा कस जायेगा और व्यावसायिक बंदरगाह के रणनीतिक जलमार्ग पर दोगुने सैन्य ठिकानों का निर्माण किया जायेगा। इसके बाद चीन के भारी कर्ज के कारण उस बंदरगाह पर सिर्फ बीजिंग की पंहुच और नियंत्रण स्थापित होगा।”
उन्होंने कहा कि “अंतिम विश्लेषण में यह प्रतिकूल सौदा एक राष्ट्र की सम्प्रभुता का गला घोंट देता है। ऐसे दृश्य पाकिस्तान, जिबूती और श्रीलंका में देखे जा सकते हैं और अब हमारे नाटो सहयोगी इटली और ग्रीस के जरिये चीन पश्चिम में अपने प्रभुत्व का विस्तार कर रहा है।”
नौसैन्य अधिकारी ने कहा कि “साल 2018 की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति में जो चर्चा की गयी थी, चीन और रूस अपने मंसूबो को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय ताकत के हर तत्व की तैनाती कर रहे हैं। अमेरिका के खर्च पर चीन और रूस ताकत को एकजुट कर सकते हैं और कूटनीतिक, आर्थिक व सैन्य बांड की स्थापना कर सकते हैं जो अमेरिका और उसके सहयोगियों को संकट में डाल सकता है।”
उन्होंने कहा कि “यह कार्रवाई न सिर्फ अमेरिका के खिलाफ की जारी है बल्कि चीन और रूस पूरी अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के मानदंड को अपने हित में दोबारा परिभाषित करना चाहते हैं। चीन और रूस मुक्त और खुले विश्व को एक द्वीपीय प्रणाली से परिवर्तित करने के लिए दृढ संकल्पित है। वह एकतरफा नियम थोपना, क्षेत्रीय सीमाओं को दोबारा तय करना और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र को दोबारा परिभाषित करना चाहते हैं, ताकि वह आने-जाने वालो और जलयात्रा करने वालो को नियंत्रित कर सके।”
उन्होंने कहा कि “दोनों देशों की कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर रही है। उनका व्यवहार अविश्वास के भाव को जगाता है और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितो की अनदेखी करता है।”