राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के एनडीए छोड़ यूपीए में शामिल हुए महीने भी नहीं बीते की उनकी पार्टी को जोर का झटका लगा है। रालोसपा के राष्ट्रीय भगवान सिंह कुशवाहा को जेडीयू में शामिल हो गए।
अपने समर्थकों के साथ भगवान, जेडीयू पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा और अन्य लोगों की उपस्थिति में जदयू में शामिल हुए।
आरएलएसपी से उनका बाहर निकलना उपेंद्र कुशवाहा के लिए एक और झटका साबित हो सकता है क्योंकि उनके तीन विधायक- सुधांशु शेखर, ललन पासवान और संजीव श्याम सिंह (एमएल) पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के साथ यूपीए में नहीं जायेंगे बल्कि एनडीए में ही रहेंगे।
रालोसपा के तीन सांसदों में से, जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार असंतुष्ट हैं, जबकि सीतामढ़ी के सांसद राम कुमार शर्मा उपेन्द्र कुशवाहा के साथ हैं।
एनडीए छोड़ भाजपा को नुकसान पहुंचाने का ख्वाब देख रहे कुशवाहा के लिए अपने घर में मची रार थामना ही मुश्किल हो रहा है। अंदेश है कि उनकी पार्टी दो फाड़ हो जाए।
बिहार के पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा कि “उपेन्द्र कुशवाहा के एनडीए छोड़ यूपीए में शामिल हो जाने के फैसले का विरोध करते हुए मैंने रालोसपा को छोड़ दिया है और पार्टी के 35 राज्य स्तर के पदाधिकारियों और 1200 कार्यकर्ताओं के साथ जद (यू) में शामिल हो रहा हूँ।
“जब मैं रालोसपा में शामिल हुआ, तो मेरी शर्त यह थी कि यह पार्टी एनडीए के साथ बने रहे। कुशवाहा के कदम का पार्टी की अधिकारी और कार्यकर्ता समर्थन नहीं करते। मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश की कि कुशवाहा एनडीए के साथ बने रहें, लेकिन वह (उपेंद्र) नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के बाद असहज महसूस करने लगे थे।
यह कहते हुए कि वह और उनके समर्थक सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के विकास की कहानी का हिस्सा बनना चाहते हैं, भगवान ने कहा कि “2019 का लोकसभा चुनाव एक चुनौती है और 2020 (राज्य में विधानसभा चुनाव) एक बहुत बड़ी चुनौती है – हम 2019 और 2020 दोनों चुनाव जीतेंगे।”