देश के युवाओं में नौकरी की ललक को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी की गयी ‘प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना’ ने लाभार्थियों की संख्या के मामले में उछाल मारी है।
वर्ष 2016 में शुरू की गयी इस योजना के तहत जुलाई 2017 तक 66 सौ प्रतिष्ठानों ने अपना पंजीकरण कराया है। वहीं अब वर्तमान में इनकी संख्या बढ़ कर 1 लाख के भी पार पहुँच चुकी है।
इस स्कीम के तहत लाभार्थियों की संख्या में भी गजब का इजाफा देखने को मिला है। इस योजना के तहत पहले वर्ष में महज 3 लाख लाभार्थी ही इस योजना का लाभ उठा रहे थे, लेकिन अगले ही वर्ष इनकी संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है। अब यह संख्या 85 लाख के पार पहुँच गयी है।
इस योजना के तहत ऐसे कर्मचारी जिनकी मासिक आय 15 हज़ार से कम है, इन कर्मचारियों के पीपीएफ़ खाते में जमा होने वाली राशि (जो कि बेसिक पे का 12 प्रतिशत है।) पूर्ण रूप से सरकार वहाँ करती है।
इस योजना के तहत वर्ष 2018-2019 के बजट में घोषणा करते हुए सरकार ने ईपीएफ़ में अपने योगदान के हिस्से को 8.33 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया था।
वहीं सरकार इसी के साथ अब कपड़ा उद्योग में काम कर रहे 1 करोड़ कामगारों को इस योजना से सीधे तौर पर जोड़ने का उद्देश्य है।
मालूम हो कि केंद्र ने अभी तक इस योजना के तहत पिछले 2 सालों में 2,404 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि वित्तीय वर्ष 2018-2019 के बजट में सरकार ने इस योजना के लिए 1,652 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा था।
हालाँकि इन आंकड़ों में वो लोग नहीं जुड़े हैं, जिन्हे अभी नयी नौकरी मिली है, हालाँकि सरकार की यह योजना कम तनख्वाह पाने वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद है।
देश में मिलने वाली तनख्वाह के मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि देश में नौकरी उतनी बड़ी समस्या नहीं है, जबकि कम तनख्वाह ज्यादा बड़ी समस्या बन कर उभरी है।