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    पृथ्वी के सतह पर पायी जाने वाली विविधता उसके आंतरिक भाग में हो रहे प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है। कई आंतरिक एवं बाहरी प्रक्रियाओं के कारण भूभाग में परिवर्तन होता रहता है।

    पृथ्वी के आंतरिक भागों को समझना जरुरी है ताकि हमें विभिन्न आपदाओं जैसे भूकंप, सक्रिय ज्वालामुखी आदि की जानकारी मिल सके, वायुमंडल में बदलाव को समझा जा सके आदि।

    विभिन्न स्रोतों के द्वारा पृथ्वी के आंतरिक भाग के बारे में जानकारी मिलती है। यह स्रोत कुछ इस प्रकार हैं:

    प्रत्यक्ष स्रोत (Direct Sources)

    पृथ्वी के गहराई में मौजूद खदान एवं गहरे खुदाई के वजह से सतह के नीचे स्थित पत्थरों के विशेषताओं का पता चल पता है।

    दक्षिणी अफ्रीका का Mponeng खदान एवं TauTona खदान जो सोना के खनन के लिए प्रसिद्ध है, वह लगभग 4 किमी गहरे हैं। अब तक जो सबसे गहरी खुदाई की गई है वह 12 किमी गहरी है। सक्रिय ज्वालामुखी भी प्रत्यक्ष स्रोतों के एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।

    अप्रत्यक्ष स्रोत (Indirect Sources)

    गहराई, उल्का पिंड, पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल, चुम्बकीय क्षेत्र कुछ अप्रत्यक्ष स्रोत हैं जिनसे पृथ्वी का आंतरिक भाग की विशेषताओं का पता लगाया जाता है।

    गहराई: जैसे जैसे गहराई बढ़ती है, वैसे वैसे दबाव एवं घनत्व बढ़ता है, जिसके फ़लस्वरूप तापमान भी बढ़ता है। यह गुरुत्वाकर्षण के परिणाम से होता है।

    गुरुत्वाकर्षण बल: पृथ्वी के अलग अलग भागों में गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव विभिन्न रहता है। इसका प्रभाव ध्रुवों पर ज्यादा रहता है एवं विषुवत वृत्त के पास कम रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विषुवत वृत्त का केंद्र भाग से दूरी ध्रुवों के मुकाबले ज्यादा है।

    वस्तुओं के भार के आधार पर भी गुरुत्वाकर्षण बल अलग-अलग रहता है। इस आधार पर आंतरिक भाग में मौजूद वस्तुओं का बल, भार आदि निकाला जा सकता है।

    उल्का पिंड: पृथ्वी एवं उल्का पिंड दोनों एक ही नाब्युला बादल के द्वारा बने हुए हैं। इससे दोनों के आंतरिक संरचना समान हैं।

    चुम्बकीय क्षेत्र: जोडाइनामो प्रभाव के कारण क्रस्ट भाग में हो रहे हलचल के बारे में वैज्ञानिकों को काफी जानकारी मिलती है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्रों में हो रहे खिसकाव व परिवर्तन के कारण लोहे एवं दूसरे खनिजों के अनजान खदानों के बारे में पता चलता है। हालाँकि बार बार चुंबकीय क्षेत्रों में हो रहे बदलाव के कारण हमेशा सही जानकारी नहीं मिल पाती।

    तापमान एवं दबाव में अधिक मात्रा में होने वाले बदलाव

    ज्वालामुखी विस्फोट, उष्ण जल स्रोत आदि की मौजूदगी से यह पता चलता है कि पृथ्वी का आंतरिक भाग कितना गर्म है। अधिकतम तापमान रेडिओएक्टिव वस्तुओं के स्वचालित विघटन (automatic disintegration) के कारण रहता है। गुरुत्वाकर्षण बल एवं पृथ्वी के व्यास के कारण आंतरिक भागों का दबाव (pressure) निकाला जा सकता है।

    उल्का पिंड से मिले सबूत

    उल्का पिंड जब पृथ्वी पर गिरते हैं, तो बहुत ज्यादा घर्षण के कारण इनकी बाहरी परत जल जाती है और आंतरिक हिस्सा दिखता है। इनका कोर भाग काफी हद तक पृथ्वी के कोर भाग से मिलता जुलता है क्योंकि इन दोनों का निर्माण एक स्रोत से हुआ है।

    उपयुक्त स्रोतों के अलावा सिस्मिक तरंगें भी अप्रत्यक्ष स्रोतों में से एक हैं। विभिन्न दिशाओं में जाती हुई तरंगों को सिस्मोग्राफ के द्वारा मापा जाता है। इससे भूकंप के अलावा आंतरिक भागों के संरचनाओं के बारे में जानकारी मिलती है।

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